राजनीतिक समीक्षा:- डॉ मिर्जा-: कवर्धा पंडरिया विधानसभा क्षेत्र… विधायक उम्मीदवार के सामाजिक चक्रव्यूह मे फसा काँग्रेस और भाजपा ,दोनो पार्टी के संगठन द्वारा योग्य और प्रतिभाशाली उम्मीदवार के सही चयन नही करने पर गवाना पड सकता है विधानसभा सीट ,क्या सामाजिक राजनीति से उभर पाएगा काँग्रेस,भाजपा…जनता पूछती है सवाल हर समाज मे काँग्रेस भाजपा के होते है मतदाता फिर संगठन…जीतने वाले प्रत्याशी का क्यो नही करते सही चयन

Editor In Chief
डॉ मिर्जा कवर्धा
वक्त है चुनाव का ऐसे मे बहोत से राजनेता पैदा हो जाते है जिनका धरातल मे कोई वजूद नही होता मौके का फायदा उठाकर सामाजिक रूप से अपनी उम्मीदवारी रख देते है जबकि काँग्रेस और भाजपा के राजनीतिक पार्टियों मे इनका योगदान पार्टी हित मे नही दिखता न सामाजिक रूप से न संगठन सेवा मे न सोशल एक्टिविटी मे बस यही लोग संगठन पर भारी पढते है… सामाजिक राजनीति तो ठीक है पर जीतने वाला प्रत्याशी भी तो हो… बस यही छूट जाता एक योग्य प्रतिभाशाली और जीतने वाला उम्मीदवार..
हकीकत से रूबरू भी होना जरूरी है
साहब हर बाहुल्य समाज मे मतदाता काँग्रेस और भाजपा दोनों का होता है मतलब बाहुल्य समाज मे अगर एक विधानसभा मे मतदाता 60 से 70 हजार भी है तो वोटिंग रेसयो 30% या 40% का होता है जो दोनो पार्टियों का होता है फिर ये कोई कैसे कह सकता है कि पूरा सामाजिक वोट केवल एक ही पार्टी या एक ही उम्मीदवार को मिलेगा…फिर बाकी और भी समाज के मतदाता भी तो है जिनका वोट भाजपा और कांग्रेस मे जाता है फिर आप ये कैसे कह सकते है कि जिनका सामाजिक वोट बैंक ज्यादा है वही विनिंग केनडीडेट हो सकता है यह तर्क पिछले चुनाव मे गलत साबित हो चुका हो ऐसे मे फिर से उसी गलती को दोहराना मतलब…विनाशे काले विपरीत बुद्धी
यह हमारा व्यक्तिगत अभिमत है काँग्रेस और भाजपा का उम्मीदवार किसी भी धर्म समाज से हो वह व्यक्ति पढ़ा-लिखा योग्य और प्रतिभाशाली के साथ स्थानीय होना चाहिए जो जनता-जनार्दन के बीच रहकर उसके हर सुख दुख मे साथ हो।
पार्टी संगठन को भी चाहिए कि सही उम्मीदवार का चयन करे ताकि जनता-जनार्दन का आशीर्वाद खुशी खुशी उस जीतने वाले उम्मीदवार को मिल सके।
राजनीतिक समीक्षा
डॉ मिर्जा
संपादक:- Newsplus36 कवर्धा