कांग्रेसी गुरुर अब भी कानुन को जेब में रखने वाले पंडरिया बीएमओ ने आदर्श चुनाव आचार संहिता का उलंघन तो किया ही अब भी सल्ग्नीकरण का धंधा जारी है ,पंडरिया स्वास्थ्य विभाग बीएमओ डॉ स्वप्निल तिवारी एक बार फिर सुर्खियों में… राज्य सरकार द्वारा संलग्नीकरण में रोक के बावजूद आखिर किसके संरक्षण में हो रहा है यह काम..

Editor In Chief
डॉ मिर्जा कवर्धा
देखें इस प्रकार का आदेश जारी किए जा रहे हैं 👇
कवर्धा – स्वास्थ्य विभाग में आदर्श चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ाते हुए पंडरिया खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ स्वपनिल तिवारी द्वारा स्वास्थ्य महकमे के स्वास्थ्य कार्यकर्ता संजय दास डहरिया का संलग्नीकरण पंडरिया विकासखंड के सेंदुरखार से बोड़ला विकासखंड के महाराज पुर कर उक्त कर्मचारी का वेतन पंडरिया खण्ड चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से आहरित किया गया है।
ज्ञात हो कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता संजय दास डहरिया का स्थानांतरण लगभग 2 वर्ष पूर्व उप स्वास्थ्य केंद्र महाराजपुर विकासखंड बोड़ला जिला कबीरधाम से स्वास्थ्य केंद्र सेंदुरखार विकासखंड पंडरिया जिला कबीरधाम में प्रशासनिक रूप से किया गया था जिसे तात्कालिक सीएचएमओ द्वारा संलग्नीकारण करके उप स्वास्थ्य केंद्र महाराजपुर कार्यरत किया गया था।
उक्त संलग्नीकरण को कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला कबीरधाम के पत्र क्रमांक /स्थापना अविज्ञप्त/ 2023 /6774 कबीरधाम दिनांक 11/10 /2023 में समाप्त कर संजय दास डहरिया स्वास्थ्य कार्यकर्ता को उप स्वास्थ्य केंद्र सेंदुरखार विकासखंड पंडरिया में मूल पद स्थापना हेतु कार्य मुक्त किया गया जिसके पालनार्थ संबंधित कर्मचारी दिनांक 14 /10 /2023 को विकासखंड पंडरिया में अपनी उपस्थिति देकर कार्य करने लगा तथा आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद 27/10/2023 से महराजपुर में उपस्थिति पंजी पर हस्ताक्षर कर महाराज पुर में कार्य करने लगा।
चौंकाने वाली बात यह है कि इस अवधि में चुनाव आयोग द्वारा आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू कर दिया गया था जिसमें किसी भी प्रकार के स्थानांतरण एवं संलग्नी कारण पर पूर्णत प्रतिबंध लग गया था ऐसी स्थिति में भी डॉक्टर स्वप्निल तिवारी खंड चिकित्सा अधिकारी पंडरिया द्वारा संजय दास डहरिया स्वास्थ्य कार्यकर्ता को उप स्वास्थ्य केंद्र महाराजपुर में कार्यरत करा दिया गया जबकि उप स्वास्थ्य केंद्र सेंदुरखार और उसके आश्रित सभी ग्राम सुदूर वनांचल दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं जहां पर विशेष रूप से पिछड़ी बैगा जनजातियों का निवास है और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा उपलब्ध कराना शासन की प्राथमिकता है। अब प्रश्न यह उठता है कि सुदूर वनांचल क्षेत्र के कर्मचारी को आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के बावजूद डॉक्टर स्वप्निल तिवारी बीएमओ पंडरिया द्वारा महाराजपुर में कार्य कराना केवल उनकी हठधर्मिता को प्रदर्शित करता है बल्कि आदिवासियों के प्रति संवेदनहीनता को भी परिलक्षित करता है । सवाल उठता है कि क्या डॉक्टर स्वप्निल तिवारी प्रशासन एवं चुनाव आयोग से भी बड़ा हैं जो प्रशासन के विरुद्ध जाकर सुदूर वनांचल क्षेत्र को स्वास्थ्य सुविधा विहीन कर दिया है तथा चुनाव आयोग के नियमो को ठेंगा दिखाने का कार्य किया है ।
गौरतलब है कि इस अवधि में जब संबंधित कर्मचारी उप स्वास्थ्य केंद्र महाराजपुर में कार्यरत है तो उनका वेतन आहरण किस आधार पर विकासखंड पंडरिया से जारी किया जा रहा है यह भी सूक्ष्म जांच का विषय है।
पंडरिया बीएमओ के निशाने पर अनुसूचित जाति- जनजाति के कर्मचारी एवं क्षेत्र
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के संरक्षण में डॉक्टर स्वप्निल तिवारी बीएमओ पंडरिया द्वारा विकासखंड पंडरिया के कार्यरत लगभग 27 कर्मचारियों का सी आर बिना किसी ठोस वजह के खराब किया गया जिसमें से लगभग 20 से अधिक कर्मचारी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के थे तथा नियमित कर्मचारियों में छह कर्मचारियों का सी आर खराब किया गया था जिसमें अधिकांश लोग अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के थे इनके कार्यकाल में इनके निशाने पर हमेशा दलित वर्ग के ही कर्मचारी रहते हैं व एक आदिवासी कर्मचारियों की सेवा इनके लिखे सी आर के कारण समाप्त किया गया । डॉक्टर स्वप्निल तिवारी बीएमओ पंडरिया के अत्याचार के विरुद्ध में पूर्व में दो अनुसूचित जाति के महिला कर्मचारियों द्वारा अनुसूचित जाति आयोग में और एक पुरुष आदिवासी कर्मचारियों के द्वारा आदिवासी आयोग में न्याय के लिए गुहार लगाया जा चुका है जिस पर निर्णय होना अभी बाकी है।
डॉ स्वप्निल तिवारी के ऊपर जीवनदीप से कार्यरत एक अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मचारी द्वारा जातिगत गाली गलौज एवं 50000 राशि रिश्वत के तौर पर मांगे जाने की शिकायत भी आजाक थाने में किया गया है
कुल मिलाकर डॉक्टर स्वप्निल तिवारी बीएमओ पंडरिया के निशाने पर हमेशा ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के कर्मचारी ही रहे हैं शायद इसी पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर ही इन्होंने आदिवासी सुदूर वनांचल क्षेत्र सेंदुरखार से कार्यरत कर्मचारियों को हटाकर मैदानी ni क्षेत्र में कर्मचारी के सुविधा के अनुसार कार्य करने हेतु आदर्श चुनाव आचार संहिता नियम के विरुद्ध छूट देकर अपने कार्य अधिकार का दुरुपयोग किया है जो कि जांच एवं ठोस कार्यवाही का विषय है और इनकी कांग्रेसी गुरुर अब भी दिखाते हुए सल्ग्नीकरण का धंधा बरकरार है और एक डाक्टर का सल्गन कर दिया और नियम कानुन को जेब रखने का एहसास लोगों को करा दिया है!