वसंत पंचमी पर निराला की रचनाधर्मिता पर विशद वार्ता, कवियों ने श्रेष्ठ कविताओं का पाठ किया..
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डॉ मिर्जा कवर्धा
कवर्धा। वसंत पंचमी के अवसर पर बुधवार 14 फरवरी की शाम को वनमाली सृजन केन्द्र एवं पाठक मंच की सँयुक्त संगोष्ठी सर्किट हाउस के अशोक हॉल में संपन्न हुई। समीक्षक अजय चन्द्रवंशी ने महाप्राण निराला के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का विवेचन करते हुए निराला की सुप्रसिद्ध रचना ‘राम की शक्तिपूजा’ की विशद व्याख्या की। अजय ने कहा कि यह कविता अपने उदात्त भावबोध और संघर्षशीलता के कारण हर दौर के पाठकों को आकर्षित करती रही है तथा निराला के व्यक्तिगत जीवन का द्वंद्व राम की छवि में घुलमिल जाता है। यह कविता अन्याय की विडम्बना से शुरू होकर न्याय की आशा पर समाप्त होती है। नीरज मनजीत ने कहा कि निराला की रचनाएं जीवन की समग्रता में व्यक्त होती हैं, वे छायावाद के प्रवर्तक कवियों में से थे किंतु वे यहाँ रुकते नहीं हैं और उनकी रचनाएं प्रयोगवाद व प्रगतिवाद तक पहुँचती हैं। नरेंद्र कुमार कुलमित्र ने कहा कि निराला की रचनाएं विद्रोह को स्वर देती सर्वहारा वर्ग के पक्ष में खड़ी होती हैं। आदित्य श्रीवास्तव ने कहा कि वे सचमुच निराले व्यक्तित्व के कालजयी कवि थे। समयलाल विवेक ने कहा कि हमें निराला जैसे अग्रज कवियों से दिशा मिलती है। महेश आमदे ने कहा कि निराला छायावाद के चार स्तंभों में से एक थे। सुखदेव सिंह अहिलेश्वर ने निराला पर कविता के साथ मां सरस्वती पर सस्वर कविता पढ़ी। प्रभाकर शुक्ला, प्रहलाद पात्रे व रेखा गुप्ता सुधीजन के रूप में उपस्थित थे। कविता पाठ के दूसरे सत्र में नवयुवा कवि यशवंत रजक ने दो कविताएं पढ़ी। सात्विक श्रीवास्तव ने बदलती जीवनशैली को रेखांकित किया। महेश आमदे ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर कविता सुनाई। भागवत साहू, संतराम थवाईत, रमेश चौरिया, अंकुर गुप्ता ने जीवन की विडंबनाओं को व्यक्त किया। अश्विनी कोसरे ने छत्तीसगढ़ी कविता का पाठ किया। अजय चंद्रवंशी ने बेघरबार की व्यथा का चित्रण किया। नीरज मनजीत ने जल की महत्ता को स्वप्न में रूपांतरित किया। समयलाल की कविता में आशावादी स्वर था। नरेंद्र कुलमित्र ने उदात्त विवाहेतर प्रेमसंबंध को व्यक्त किया। अंत में आदित्य श्रीवास्तव ने वसंत के सौंदर्य के साथ टूटते पारिवारिक रिश्तों पर कविता सुनाई।