कबीरधाम (कवर्धा)छत्तीसगढ़

शिक्षक विकसित भारत की कल्पना के सूत्रधार: डॉ.वीरेन्द्र साहू, जनपद उपाध्यक्ष वीरेन्द्र साहू ने ली प्रधानपाठकों की बैठक, स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने की चर्चा

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डॉ मिर्जा कवर्धा 

कवर्धा। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र के विकसित भारत के सपने को साकार करने में शिक्षकों और हमारी भावी पीढ़ी बच्चों की भूमिका कैसे सुनिश्चित हो इस महत्वपूर्ण विषय को लेकर शनिवार को जनपद पंचायत कवर्धा के उपाध्यक्ष वीरेन्द्र साहू ने स्थानीय स्वामी आत्मानंद विद्यालय के सभा कक्ष में जनपद क्षेत्र के कवर्धा के शासकीय प्राथमिक व मिडिल स्कूलों के प्रधानपाठक तथा शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बेठक ली और कई महत्वपूर्ण विषयों पर विचार विमर्श किया। बैठक में शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला के 98 तथा प्राथमिक शाला के 198 प्राचार्य सहित विकासखण्ड शिक्षा अधिकाररी संजय जायसवाल, एबीओ अजय चंद्रवंशी,अनिल केशरवानी,मोदिता गुप्ता, बी.आर. सी जलेश चंद्रवंशी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। इस अवसर पर उपस्थित शिक्षको से संवाद कर समस्या व सुझाव को सुनकर संबोधित करते हुए जनपद उपाध्यक्ष वीरेन्द्र साहू ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि वे देश को 2047 तक विकसित भारत के रूप में स्थापित करें। ऐसे में प्रधानमंत्री के इस सपने को पूरा करने में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों, प्राचार्यो, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों तथा बच्चों की क्या भूमिका हो सकती है हमें यह विचार करते हुए इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता लाना हम सभी की जिम्मेदारी है और इसके लिए हमारे द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इससे पूर्व संकुल समन्वयकों की बैठक आयोजित की गई थी और आज प्रधानपाठकों के साथ चर्चा की जा रही है। उन्होने कहा कि हमारा प्रयास है कि हम शिक्षा की गुणवत्ता में बाधक आप लोगों की तमाम समस्याओं का संकलन कर उसे शासन-प्रशासन के समक्ष रखकर उनका निराकरण कराएं ताकि इसका लाभ स्कूली बच्चों को प्राप्त हो।  साहू ने कहा कि इसके अलावा सभी प्राचार्यो को अपने स्कूलों के प्रति दायित्वों का निर्वाहन पूरी ईमानदारी तथा निष्ठा से करना होगा। शिक्षा गुणवत्ता की दिशा में जो नवाचार हो सकता है उसे करना चाहिए। आने वाले समय में स्कूलों में बच्चों की परिक्षाएं आयोजित की जानी है। हमारा प्रयास हो कि परिक्षाएं तनावमुक्त और खुशनुमा माहौल में सम्पन्न हों। स्कूलों में बच्चों को बेहतर मध्यान्य भोजन प्राप्त हो, उनका नियमित स्वास्थ्य परीक्षण हों, बच्चे नशा से दूर रहें, पालकों के साथ स्कूल प्रबंधन की भी बच्चों के बाहरी गतिविधियों पर नजर हो, बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने, पढ़ाई में कमजोर बच्चों को अतिरिक्त समय देने जैसे तमाम कार्य प्राचार्य तथा स्कूल के शिक्षक कर सकते हैं। अगर ऐसा किया जाता है तो निश्चित रूप से आने वाले समय में इसके सार्थक और बेहतर परिणाम में हमारे सामने होंगे। बैठक में बड़ी संख्या प्रधानपाठक उपस्थित थे

News Desk

Editor in chief, डॉ मिर्जा कवर्धा

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