कबीरधाम (कवर्धा)छत्तीसगढ़

फिर एक बार सुर्खियों में कवर्धा जिला अस्पताल.. एक माह में तीन गर्भवती जच्चा बच्चा की मौत सिविल सर्जन और महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ के लापरवाही के चलते हो रही है मौत जच्चा बच्चा की मौत की उच्च स्तरीय होनी चाहिए जांच..छत्तीसगढ़ शासन में बैठे स्वास्थ सेकेट्ररी संज्ञान में ले..

Editor In Chief 

डॉ मिर्जा कवर्धा 

कही न कही आलाधिकारी सिविल सर्जन व महिला स्त्रीरोग विशेषज्ञ ( Gynecologist ) पत्रकारों को भी गलत जानकारी देकर कर रहें है गुमराह..

अपको बता दे की जिला अस्पताल में कल जिस महिला की मौत हुई उसमें जिला अस्पताल के सिविल सर्जन और महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ की सम्पूर्ण लापरवाही दिखाई दे रहा है मृतक महिला मुरवाही गांव की रहने वाली वनांचल क्षेत्र में रहने के कारण बहोत से जांचों से वंचित रह जाते है जबकि ग्राम झलमला में आर एम ए डॉक्टर पदस्थ हैं लेकिन धरातल में ऐसा लगता है की इनके द्वारा कोई जांच परख नई किया जाता मृतक महिला के प्रसव के लिये जब झलमला लाया गया जांच के उपरान्त महिला की खराब स्थति को देखते हुवे आरएमए ने जिला अस्पताल रिफर कर दिया 

जिला अस्पताल पहुंचने के बाद उक्त महिला को ढाई घंटे आबजर्वेसन में रख दिया गया उसके बाद जिला अस्पताल में पदस्थ स्त्री रोग विशेषज्ञ ने जांच किया जांच के नाम पर मात्र खून की जांच कराई गई खून जांच के बाद यह पता चला कि उस महिला के शरीर में खून की कमी पाया गया और परिजनों को बताया गया की महिला के शरीर में खून के कमी के साथ रपचर्ड यूट्रस ( बच्चेदानी का फट जाना ) बताया गया जबकि ब्लड इन्वेस्टिगेशन से यह बिल्कुल भी नहीं पता चलता के किसी महिला का यूट्रस फट चुका है 

आपको बता दे की जिला अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन की भी सुविधा है लेकिन सोनोग्राफी सोनोलाजिसट नहीं होने के कारण से बंद पड़ा हुआ है लेकीन एक महिला विशेषज्ञ को पढ़ाई के दौरान ऑफ गायनोलाजी के अन्तर्गत यह जांच करना सिखाया जाता है लेकिन यह ताजुब होता है के जिला अस्पताल में दो महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ है किसी भी महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ ने इस मृतक महिला की सोनोग्राफी का जांच नहीं किया और मौखिक तौर पर यह बता दिया गया कि बच्चेदानी फट चुका है मरीज के शरीर के पूरा जांच किए बिना ही ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर सीजर कर दिया गया और मृत्य बच्चे को बाहर कर उक्त महिला को वेंटिलेटर में शिफ्ट कर दिया गया।

अब सवाल यह उठता है कि जब महिला शारीरिक रूप से सेटल नहीं थी तो फिर उनका ऑपरेशन क्यों किया गया सिविल सर्जन और महिला रोग विशेषज्ञ जानकारी लेने पता चला के दोनों का वर्जन अलग-अलग है ज्ञात सूत्रों से पता चला की महिला रोग विशेषज्ञ यह कहती है की लाइट बंद हो जाने के कारण से वेंटिलेटर बंद हो गया और उस महिला की मौत हो गई जबकि जिला अस्पताल के सिविल सर्जन यह कहते हैं के लाइट बंद होने के बाद भी आधे घंटे का बैकअप ऑक्सीजन नाइट्रोजन सपोर्ट मिलता है तो इन दोनों डॉक्टरों के बातों में अंतर कैसे हो रहा है..? कुल मिलाकर देखा जाए सिविल सर्जन और स्त्री रोग विशेषज्ञ अपनी गलती को छुपाने से लिए और बचाव करने के लिए अलग-अलग बाते कर रहे हैं लेकिन उस महिला का क्या जो इनके लापरवाही के चलते इस दुनिया को अलविदा कह कर निकल गई तो कहीं ना कहीं परिवारजनों ने सिविल सर्जन और महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ के ऊपर आरोप लगाते हुए यह कहा की संपूर्ण गलती जिला अस्पताल प्रबंधन का है इसकी उच्च स्तरीय जांच रायपुर में बैठे छत्तीसगढ़ शासन के सेक्रेट्री हेल्थ से होनी चाहिए ताकि इस प्रकार की गलतियां लापरवाही किसी दूसरे परिवार के साथ किसी महिला के साथ ना हो सके और बता दे आपको जिला अस्पताल प्रबंधन इन दोनों महिला स्त्री रोग विशेषज्ञों को ढाई लाख रुपए महीना तनख्वाह देता है आने वाले समय में इस तरह की घटना की पुनःवृति न हो इस पर जिला प्रशासन और मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी संज्ञान में लेकर आवश्यक कार्यवाही करें। तभी उस मृतका महिला के आत्मा को शांति मिलेगा। 

आईए जानते हैं कुछ और जानकारियां

जिला अस्पताल कवर्धा में एक फिर प्रसव कराने आये बैगा जच्चा-बच्चा की मौत हो गई है। ऑपरेशन थियेटर में प्रसव के दौरान गर्भवती महिला का ऑपरेशन हो रहा था इसी बीच अचानक बिजली बंद हो गई, जिससे ऑक्सीजन की सप्लाई रुक गई। इसके चलते जच्चा बच्चा ने दम तोड़ दिया। वहीं परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। जिला अस्पताल में पिछले 27 दिनों में जच्चा बच्चा मौत का यह तीसरा मामला है।

दरअसल बोड़ला के मुड़वाही गांव के जेठिया बाई बैगा को प्रसव पीड़ा होने पर झलमला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया लेकिन यहां डॉक्टरों ने जिला अस्पताल रैफर कर दिया। जिसके बाद मितानिन की मदद से उसे रात में ही जिला अस्पताल कवर्धा में भर्ती कराया गया। जांच में पता चला कि गर्भ में शिशु की मृत्यु हो चुकी है। इसके चलते उसका ऑपरेशन किया जाना था लेकिन ऑपरेशन ऑपरेशन के दौरान बिजली बंद हो गई, जिससे ओटी में ऑक्सीजन की सप्लाई रुक गई और जच्चा बच्चा दोनों की मौत हो गया। मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाहि का आरोप लगाया। गौरतलब है कि बीते 3 माह के भीतर जिला अस्पताल में जच्चा- बच्चा की मौत का यह तीसरा मामला है। इससे पहले 19 मई को ग्राम आगरपानी (कुकदूर) की रहने वाली रामकली पति नरेन्द्र बैगा की मौत भी सिजेरियन ऑपरेशन के कुछ घंटे बाद हो गई थी। वहीं उसके नवजात शिशु की मौत ऑपरेशन के दौरान हुई थी।

News Desk

Editor in chief, डॉ मिर्जा कवर्धा

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