ईद-उल-जुहा पर मांगी गई अमनो सुकून की दुआ..लोगों ने गले लगाकर एक दूसरे को दी ईद-उल-जुहा की बधाई..
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डॉ मिर्जा कवर्धा
कवर्धा। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी समूचे अंचल में ईद-उल-जुहा बकरीद धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर मुस्लिम समाज के लोगों ने जिला मुख्यालय कवर्धा स्थित स्थानीय जामा मस्जिद में दो वक्तों की नमाज अदा कर अपने मुल्क व राज्य के अमनोसुकून की दुआ मांगी। ईद-उल-जुहा बकरीद के मौके पर शहर व आसपास के सैकड़ों मुस्लिम समाज के लोगों ने ईद की नमाज अदाकर आपस में एक दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद पेश की। इस संबंध में मुस्लिम समाज के हाजी सलीम हिंगोरा ने बताया कि ईद-उल-जुहा ईब्राहीम अलैह एवं हजरत ईस्माईल अलैह की याद में मनाया जाता है। हजरत ईब्राहीम अलैह को खुदा की जानिब से ख्वाब आया कि तुम हमारी राह में कुर्बानी पेश करो तो हजरत ईब्राहीम अलैह ने सौ ऊंटो की कुर्बानी पेश की फिर अगली रात में ख्वाब आता है तुम अपने सबसे अजीज चीज हमारी राह में कुर्बान करो तो हजरत ईब्राहिम फौरन समझ जाते हैं कि मेरा सबसे अजीज ईकलौता फरजंद पुत्र हजरत ईस्माईल अलैह जो उन्हे बहुत मिन्नतों मुराद से बुढ़ापे में पैदा हुआ था उन्होंने फौरन अपने पुत्र फरंजद को ख्वाब की दास्तां बताई तो उनके परजंद हजरद ईस्माईल अलैह ने कहा बाबा जान ये खुदा का हुक्म है आप फौरन अमल किजिए मुझे साबिर सब्र करने वाला पायेंगे।
तब हजरत ईब्राहिम अलैह अपने फरजंद पुत्र हजरत ईस्माईल को मीना के कुर्बानगाह लेकर पहुंचे। जहां उन्होंने हजरत ईस्माईल को लिटाकर उनके हलक में छुरी चलानी चाही परन्तु छुरी नहीं चली। खुदा ने जानिब से फरिस्ते को हुक्म दिया कि जन्नती दुम्बा बकरे की शक्ल का हाजिर करें और हजरत ईब्राहीम के बदले दुम्बा कुर्बान हो जाता है। खुदा को हजरत ईब्राहिम व हजरत ईस्माईल की ये अदा बेहद पसंद आ जाती है तब से हर साल मुसलमान पर बकरे की कुर्बानी करना बाजिब हो जाता है।