भारत में चल रहे धर्मांतरण के कुचक्र को भेदना जरूरी, फिल्मों में केवल हिंदुत्व का अपमान, शंकराचार्य महाराज की कड़ी प्रतिक्रिया

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डॉ मिर्जा कवर्धा
कबीरधाम। परमपूज्यपाद अंनतश्रीविभूषित ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंन्द: सरस्वती जी महाराज अपने 03 दिवसीय छत्तीसगढ़ के कबीरधाम प्रवास पर हैं। शंकराचार्य महाराज ने आज पंडरिया में रमेश गुप्ता के निज निवास पर पत्रकारों के प्रश्न पर कहा।
धर्मांतरण, फिल्मों में हिंदु धर्म को आहत करने वाले दृश्य, रामसेतु को लेकर केंद्र की सरकार के बयान पर खुलकर अपनी बात रखी।
धर्मांतरण पर बोले शंकराचार्य
भारत में बढ़ते धर्मांतरण को लेकर शंकराचार्य महाराज ने अपनी नाराजगी जताई उन्होंने नेकहा इस मुद्दे को हल्के में मत लीजिए। यदि धर्मांतरण सदाचारी बनने देश व समाज को सम्मिलित करने के लिए एवं मृत्यु के अनंतर दिव्य लोकों की प्राप्ति के लिए किया जाए तो इसमे कोई खराबी नही परंतु धर्मांतरण राजनैतिक कार्यो से हो रहा हैं समर्थक बढ़ाने के लिए धर्मांतरण कराया जा रहा है।
धर्मांतरण का ही परिणाम है कि पहले गुरु नानक जी के समय व उससे भी पहले दूसरे धर्म के लोग आए हमारे देश में हम लोगों ने स्वागत किया। इतिहास गवाह है कि देश में ईसाई हो या मुस्लिम उनका स्वागत हुआ है। स्वागत का परिणाम है कि हमारा भारत 2 टुकड़ो में बंट गया। एक दूसरे को लड़ाने के लिए धर्मांतरण का प्रयोग हो रहा हैं जो बहुत गलत बात हैं।
खासकर गरीब लोगों को टारगेट कर धर्मांतरण कराया जा रहा हैं। वर्षों पहले से धर्मांतरण हो रहा है, क्या लोग करोड़पति बन गए या फिर उनके दु:ख हर लिए गए। यह एक गंभीर विषय है, जिसकी जांच नहीं होती। हमारा मानना है कि धर्मांतरण करने वालों को पहले विद्वानों से मिलना चाहिए वह नीचे से शुरुआत करते हैं तो क्यों न सीधा ऊंचे से शुरुआत करें। यदि वह विद्वानों को अपनी बात मनवाने में सक्षम हो जाएंगे तो एक बार में उनके करोड़ों अनुयाई बन जाएंगे। उन्हें पता है शंकराचार्य जी के पास उनकी दाल नहीं गलने वाली हैं इसलिए वह अब तक हमारे पास नहीं आए।
गरीब तबके के लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है। वही सर्वप्रथम उन्हें शिक्षा दिया जाना चाहिए। धर्मांतरण कराने वाले लोग कहते हैं कि हमारे धर्म को अपनाओ, फिर शिक्षा देंगे पहले आप शिक्षा तो दो। वह शिक्षा लेने वाला बच्चा है, जब वह बड़ा हो जाएगा तो अच्छा बुरा स्वयं समझेगा। यदि उसकी इच्छा होगी आपके धर्म में आने की, तब वह पूर्ण रुप से स्वतंत्र होगा। भोले भाले लोगों को धर्मांतरित कराने का यह कुचक्र जल्द बंद होना चाहिए।
जल्द धार्मिक सेंसर बोर्ड की स्थापना
फिल्मों में केवल भगवा की बात नहीं है फिल्मों में तो ऐसी ऐसी बातें की जा रही हैं, जो सनातन धर्मियों के ह्रदय को बहुत चोट पहुंचा रही हैं। इसीलिए हमने यह विचार किया है हमारी प्रक्रिया चल रही हैं। जल्द ही हम एक धार्मिक सेंसर बोर्ड स्थापित करेंगे, जो फिल्मों में इस तरह के दृश्य है उसके बारे में अध्ययन करेगी। गलत लगा तो अध्ययन करके उनको नोटिस देगी जरूरत पड़े तो कानूनी कार्यवाही भी करेगी।
दोनों बराबर है कोई न ज्यादा कोई न कम
जब देश का प्रधानमंत्री ने गौ रक्षकों को गुंडा कहा तब आप नहीं बोलते हो, जब छत्तीसगढ़ का सीएम बजरंग दल वालों को गुंडा बोलते हैं तब बोलते हो। हमारा यह कहना है कि प्रधानमंत्री गौ – रक्षकों को गुंडा कहते है तो वह भी गलत है अगर छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री किसी संस्था विशेष के कार्यकर्ताओं को गुंडा कहता है तो दोनों बराबर है कोई न ज्यादा कोई न कम।
रामसेतु पर केंद्र का बयान सही नही
यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है। रामसेतु के संरक्षण के लिए ज्योतिष पीठ और द्वारका शारदा पीठ के ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने बहुत बड़ा प्रयत्न किया। उन्होंने रामसेतु रक्षा मंच की स्थापना की। हमको उसका संयोजक बनाया। वही दिल्ली में एक बहुत बड़ी रैली की सुप्रीम कोर्ट मैं मुकदमे किए और पूरे देश में आंदोलन चलाया।
परिणाम स्वरूप रामसेतु के अंतरिम रक्षा हुई, क्योंकि अंतरिम आदेश आ गया कि अगले आदेश तक के लिए इसको तोड़ने से रोका जाता हैं। कांग्रेस सरकार-भाजपा सरकार दोनों ने रामसेतु को तोड़ने के लिए अटल बिहारी वाजपेई के समय में अटल जी ने व उसके पहले कांग्रेस की सरकारों ने इस प्रोजेक्ट को बढ़ाया था। दोनों ही सरकारें इसमें सम्मिलित रही है वहां पर एक चैनल बना दिया जाए, रामसेतु को तोड़ दिया जाएं उसकी रक्षा के लिए जगतगुरु शंकराचार्य जी महाराज ने अथक प्रयास किए हैं। उसी अंतरिम आदेश के अनुसार उसकी रक्षा भी हो रही है लेकिन अब फिर से निकल कर आ रहा है कह रहे हैं कि रामसेतु है ही नहीं।
पहले कांग्रेसी सरकार ने कोशिश की थी कि रामसेतु काल्पनिक है। यह कहने के बाद देश में जब बहुत विरोध हुआ तब अपना वक्तव्य बदला। इसी तरह से फिर वक्तव्य आ गया हैं सरकार के द्वारा, वह कहती हैं पत्थर तो दिखाई देते हैं लेकिन ये रामसेतु है, इसका कोई प्रमाण नहीं। यदि आपके पास प्रमाण नहीं, तो आप क्या कहना चाहते हैं ? आपका मतलब है कि जो अटल बिहारी वाजपेई जी के समय में इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा रहा था फिर से इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की कोशिश हो रही हैं। यह नहीं होना चाहिए। रामसेतु के बारे में पुख्ता प्रमाण है कि वह ही रामसेतु हैं। यह वाल्मीकि रामायण स्पष्ट कहता हैं। अंतरिक्ष से ऐसा लगता था जैसे किसी माता की मांग में सिंदूर, यह वाल्मीकि जी ने उत्प्रेक्षा की, उपमा दी हैं।
आप देखिए आज भी अंतरिक्ष से जो चित्र आते हैं वैसे ही दिखते हैं जैसे की मांग बनी हुई हैं इसका मतलब है कि वाल्मीकि जी के समय में ऐसे सेटेलाइट रहे होंगे, जिससे वह नीचे देख सकते थे। तभी तो इस तरह का वर्णन किया रामसेतु होने का हजारों प्रमाण हैं। हम लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में सब दाखिल किया है उसको आप इस तरह से नहीं कह सकते हैं। रामसेतु की रक्षा के लिए हम सब सदा प्रतिबद्ध रहे हैं। रामसेतु के बारे में कोई दूसरा विचार कृपया करके ना लाएं यह हमारा अनुरोध हैं।
पवित्र मन से लो राम नाम
राम नाम की खींचतान चलना अच्छी बात हैं राम नाम का कम से कम महत्व तो समझ में आया। यहां राम का महत्व हैं। कुछ नाम का महत्व हैं। कुछ पहले एक ने पकड़ा था उसने भी महत्व जान के पकड़ा और दूसरे को भी अगर क्लिक कर रहा हैं, तो अच्छी बात हैं। राम का नाम सब लोग ले सबका कल्याण हो, कौन मना करता हैं, लेकिन केवल राजनीति के लिए राम का नाम लोगे तो वह फल नहीं मिलेगा, जो मिल सकता हैं। राम नाम पवित्र हृदय से लो, कल्याण हो जाएगा। आपको राजनीति से पद मिलता है ना, इससे ना जाने कितना परम पद आपको प्राप्त हो सकता है। राम नाम के शब्द हृदय से उच्चारण करने से इसलिए शुद्ध हृदय से राम का नाम लीजिए। राजनीति के लिए और भी बहुत मुद्दे हैं उस से काम चलाइए।
इस अवसर पर शंकराचार्य जनकल्याण न्यास के प्रमुख ट्रस्टी चंद्रप्रकाश उपाध्याय, धर्मालंकार डॉ पवन कुमार मिश्रा, सांसद संतोष पांडेय, लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह, मोतीराम चंद्रवंशी पूर्व विधायक, डॉ सिया राम साहू पूर्व विधायक, हरे कृष्ण शुक्ला सहित बड़ी संख्या में पंडरिया वासी उपस्थित रहे। यह जानकारी ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य के मीडिया प्रभारी अशोक साहू ने दी।