कबीरधाम (कवर्धा)छत्तीसगढ़

संगोष्ठी में अजय की किताब का लोकार्पण, सामाजिक मूल्यपरक चर्चा हुई, नए बिंबों की कविताएं पढ़ी गईं

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डॉ मिर्जा कवर्धा 

कवर्धा। वनमाली सृजन केन्द्र एवं पाठक मंच की एक संयुक्त संगोष्ठी 17 नवंबर रविवार की शाम को सर्किट हाउस के अशोक हाल में रखी गई थी। संगोष्ठी में ख्यात कवि समीक्षक अजय चंद्रवंशी की किताब “फिल्मों की बातें” का लोकार्पण सभी साथियों ने मिलकर किया। इस किताब में व्यावसायिक सिनेमा से अलग हटकर सामाजिक सरोकारों से प्रेरित 50 से ज़्यादा सार्थक फिल्मों की समीक्षाओं को संग्रहित किया गया है। संग्रह के बारे में अजय ने कहा कि इन समीक्षाओं में फ़िल्म के सभी पक्षों को नहीं समेटा गया है, सिर्फ कथ्य की सामाजिकता का विश्लेषण करते हुए वैचारिक पड़ताल की गई है। 

चर्चा को आगे बढ़ाते हुए समयलाल विवेक ने कहा कि साहित्य की तरह ही फ़िल्में भी समाज पर प्रभाव डालती हैं, इस संदर्भ में अजय ने समीक्षा के लिए सामाजिक मूल्यपरक फिल्मों का चुनाव किया है। सुनील गुप्ता ने संग्रह के परिप्रेक्ष्य में कुछ फिल्मों की चर्चा की। नरेन्द्र कुमार कुलमित्र ने मदर इंडिया, आनंद, रजनीगंधा का जिक्र करते हुए कहा कि समाज के बदलने के साथ फिल्मों का कलेवर भी बदलता रहता है, अजय ने समीक्षाओं में इस बदलाव को रेखांकित किया है। भागवत साहू ने समीक्षाएं मानवीय संवेदनाओं को कुरेदती हैं और उद्देश्य पूरा करती हैं।

संतराम थवाइत ने साहित्य और सिनेमा के अंतर्संबंधों पर बात रखी। सुखदेव सिंह अहिलेश्वर ने कहा कि साहित्य का प्रभाव सीमित होता है, जबकि फिल्में एक बड़े वर्ग को प्रभावित करती हैं। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए अश्वनी कोसरे ने कहा कि यह किताब एक सिद्धहस्त फिल्म समीक्षक की रचनातमक अभिव्यक्ति है। ब्रजेन्द्र श्रीवास्तव, सोमप्रकाश वर्मा, राजाराम हलवाई और बिहारीलाल चन्द्रवंशी ने भी अपनी बात रखी। आखिर में अध्यक्ष नीरज मनजीत ने एक विशिष्ट कालखंड में समांतर सिनेमा का विश्लेषण करते हुए कहा कि अजय की विचारसंपन्नता और दृष्टि स्पष्ट रूप से समीक्षाओं में नज़र आती है और ये पारंपरिक सिनेमाई लेखन से अलग समांतर समीक्षाएं हैं। इस चर्चा के बाद अन्य कई विषयों पर सार्थक बातचीत हुई। 

कविता पाठ के सत्र में समयलाल विवेक, बिहारीलाल चंद्रवंशी, सोमप्रकाश वर्मा, अजय चंद्रवंशी, संतराम थवाइत, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर, अश्वनी कोसरे, नरेंद्र कुलमित्र और नीरज मंजीत ने नए बिंबों के जरिए जीवन की विडंबनाओं को चित्रित किया।

News Desk

Editor in chief, डॉ मिर्जा कवर्धा

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