छत्तीसगढ़ मे सरकार मजबूत पर कर्मचारी यूनियन के आगेआलाअफसर मजबूर?
छुरिया से अकिल मेमन की रिपोर्ट..
छुरिया ;-, छत्तीसगढ़ मे भाजपा का विष्णुदेव सरकार मजबूत है,मगर आलाअफर मजबूर है, इसका वजह प्रदेश मे कर्मचारियों का यूनियन हावी है ,जिले व प्रदेश के आलाधिकारी कड़े फैसले लेने से पिछे हटते है ,उन्हें भय होता है ,अगर किसी दोषी कर्मचारी पर एक्शन लेते है ,तो ऐसे हालात मे यूनियन उनके खिलाफ प्रदर्शन व अंदोलन कर सकते है,उसका खामियाजा उन्हे स्थानांतरण या मंत्रालय पोस्टिंग के रुप मे भुगताना पड़ जाता है।
आलाअधिकारी मंत्रालय मे कार्य करने के बजाए जिला मे पोस्टिंग क्यों चाहते है।
प्रदेश मे आलाअफशर वर्तमान मे अपने पद के गरिमा के अनुरूप कोई बड़ा फैसला या अधिनस्थ कर्मचारियों के लापरवाही पर कार्यवाही करने उनके पसीने छूटते है, उसका वजह बताया जाता है प्रदेश मे सरकारी कर्मचारियों का यूनियन बाजी जो काफी मजबूत है , सरकार आलाअफशरो को गाड़ी बंगला खासा वेतन सब कुछ तो उन्हें मुहय्या कराती है, फिर आखिर वे सिर्फ जिला मे पोस्टिंग क्यों चाहते है ,मंत्रालय मे बठकर कार्य करने से क्यों पिछे होते है।इसे सरकार मे बैठे बड़े नेताओं को समझना होगा वर्तमान मे यही वजह है ,8 माह के अन्दर सरकार जिला प्रसासन के कार्य से संतुष्ट नहीं है ,तभी तो प्रदेश के जिला कलेक्टर व एसपी का दो दिवसीय कार्यशाला लगाकर उन्हें समझाईश देना पड़ रहा है,
मंत्री सांसद विधायक से ज्यादा भाजपा के नेता कार्यकर्ता प्रशासन पर हावी?
छत्तीसगढ़ मे वर्तमान मे भाजपा सरकार है, मुख्यमंत्री एक सुलझे अनुभवी व्यक्ति है।सरकार मे गृह एंव पचायत मंत्री बेहद ही गभ्भीर व मेहनती है जमीन से जूड़े नेता मे उनकी गिनती है, फिर आखिर क्या वजह है ,प्रदेश मे प्रसासन मे कसावट की कमी है ,कुछ तो वजह है ,सूत्र बताते है सरकारी अमला जमीनी स्तर पर लोगों को सरकार के योजनाओं का लाभ नही दिला पा रहे है, खबर के मुताबिक गोपनीय रिपोर्ट है ,शहर व ग्रामीण क्षेत्र मेअवैध शराब चोरी डकैती भ्रष्टाचार का मामला काफी बड़ा है ,अपराधी तत्व मे लगाम नहीं है, सरकार से जुड़े कुछ बीजेपी नेता संगठन से जूड़े लोगो को जनहीत के कार्यों से ज्यादा विवादो पर दिलचस्पी है ,यही वजह है आम चर्चा भी है जनता 8 माह मे ही सरकार के कार्य से कही न कही अष्तुष्ट नजर आ रही है ,जो सरकार के सेहत के लिए चिन्ता का विषय आगे नगरी निकाय चुनाव है जिसपर इसका विपरीतअसर पड़ सकता है।प्रदेश मे पूर्व मे जब काग्रेंस सरकार था तब नेता इतना शक्रीय व जनहित के मुद्दे पर चिन्तित नहीं थे मगर आज वे विपक्ष मे आते ही छोटे से छोटे मुद्दों पर सरकार के खिलाफ आक्रामक है।