कबीरधाम (कवर्धा)छत्तीसगढ़

जिले वासियों का शाल भर का इंतजार आज होगा पूरा.. धर्मनगरी कवर्धा में मध्य रात्रि निकलेगी तीनों मंदिरों से मातारानी का खप्पर.. सदियों पुरानी परंपरा आज भी कायम..

Editor In Chief 

डॉ मिर्जा कवर्धा 

कवर्धा। शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर कवर्धा में एक बार फिर से सदी पुरानी परंपरा का भव्य आयोजन होने जा रहा है। आज रात, मां दंतेश्वरी, मां चंडी और मां परमेश्वरी के मंदिरों से विशेष धार्मिक आयोजन के तहत खप्पर निकाला जाएगा। यह अनुष्ठान शुक्रवार की मध्यरात्रि को शुरू होगा, जब तीनों मंदिरों से खप्पर क्रमशः निकाला जाएगा और पूरे नगर में भ्रमण करेगा। इस परंपरा को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ निभाया जाता है, और हर साल हजारों श्रद्धालु इस अनुष्ठान का हिस्सा बनते हैं।

खप्पर निकालने की पुरानी परंपरा

खप्पर निकालने की परंपरा की जड़ें बहुत गहरी हैं, जो कई सदियों पहले शुरू हुई थीं। कवर्धा और आसपास के क्षेत्रों में यह धार्मिक अनुष्ठान आपदाओं से मुक्ति और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जाता है। इस साल भी मां दंतेश्वरी, मां चंडी और मां परमेश्वरी मंदिर से यह खप्पर निकलने की परंपरा निभाई जाएगी।

नगर भ्रमण के दौरान देवी माता का आशिर्वाद प्राप्त व्यक्ति है एक हाथ में खप्पर जोकि मिट्टी से बने काले रंग के पात्र में जलती हुई आग होती है, और दुसरे हाथों में चमचमाती तेज धार वाली तलवार लेकर मंदिर से निर्धारित समय पर निकलेंगे, देवी के मार्ग में कोई रुकावट न हो इसके लिए प्रमुख पंडा हाथ में तलवार लहराते हुए रास्ता सुरक्षित करते है। वहीं समय-समय पर देवी माता को शांत करने मंदिर के दर्जनों पुजारी और सुरक्षा के लिए पुलिस की फौज तैनात रहती है,साथ ही मंदिर समिति के सदस्य भी रहते हैं। जोकि नगर के विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए अपने मंदिर में वापस जाकर रुकती है। 

मां दंतेश्वरी से खप्पर रात 12:10 बजे निकाला जाएगा, जिसके 10 मिनट बाद मां चंडी और फिर 10 मिनट बाद मां परमेश्वरी से खप्पर निकलेगा। यह खप्पर नगर के 18 प्रमुख मंदिरों के सामने से गुजरते हुए देवी-देवताओं का आह्वान करेगा। पूरे नगर में इसके स्वागत के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़ते हैं, और रास्ते के किनारे लोग देवी मां के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

खप्पर का धार्मिक महत्व और सुरक्षा प्रबंध

खप्पर निकलने के दौरान नगर में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो, इसके लिए पुलिस प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रहती है। पूरे शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर पुलिस बल तैनात होते है। इसके अलावा, खप्पर के आगे-पीछे भी पुलिस जवानों का दल तैनात किया जाता है, ताकि कोई अव्यवस्था न हो। यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े और वे सुरक्षित रूप से इस धार्मिक अनुष्ठान में भाग ले सकें।

खप्पर के साथ जुड़े रौद्र रूप की पुरानी कहानियां

प्राचीन काल में खप्पर का स्वरूप बहुत ही रौद्र और भयावह माना जाता था। पाँच दशक पहले खप्पर का दर्शन करना तो दूर, इसकी किलकारी की गूंज से ही लोग घरों में छिप जाया करते थे। घरों के दरवाजे और खिड़कियों से पल भर के लिए खप्पर का दर्शन करना भी एक साहसिक कार्य माना जाता था। हालांकि, समय के साथ खप्पर निकालने की यह परंपरा धार्मिक आस्था और श्रद्धा का प्रतीक बन गई है, और आज भी इसे पूरी श्रद्धा से निभाया जाता है।

मंदिरों में हवन-पूजन और कन्या भोज का आयोजन

नवरात्रि की अष्टमी पर कवर्धा के सभी प्रमुख मंदिरों में हवन-पूजन का विशेष आयोजन किया गया है। मां चंडी, मां महामाया, मां विन्ध्यवासिनी, मां काली, मां शीतला, मां सिंहवाहिनी और मां परमेश्वरी सहित अन्य सभी देवी मंदिरों में सुबह 9 बजे से हवन-पूजन का कार्य शुरू होगा। इसके बाद कन्या भोज का आयोजन होगा, जिसमें बड़ी संख्या में कन्याओं को भोजन कराया जाएगा।

मंदिर समितियों द्वारा इस आयोजन के लिए पूरी तैयारियां कर ली गई हैं। देवी मां की पूजा और कन्या भोज के इस आयोजन को लेकर भक्तों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। श्रद्धालु सुबह से ही मंदिरों में आकर देवी का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे और हवन-पूजन में भाग लेंगे।

नवरात्रि का उल्लास और भक्तों की आस्था

कवर्धा जिले में नवरात्रि के इस विशेष अवसर पर देवी मां के प्रति भक्तों की आस्था और श्रद्धा का भव्य प्रदर्शन हो रहा है। श्रद्धालुओं का तांता मंदिरों में लगा हुआ है, और अष्टमी की इस रात को निकाले जाने वाले खप्पर को लेकर उत्साह अपने चरम पर है। शहर भर के लोग इस धार्मिक परंपरा का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं, और सुरक्षा व्यवस्था से लेकर आयोजन की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था को प्रबल करता है, बल्कि समाज में आपसी सौहार्द और एकजुटता का संदेश भी फैलाता है। खप्पर निकलने की यह परंपरा आज भी कवर्धा के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे हर वर्ष श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाया जाता है।

News Desk

Editor in chief, डॉ मिर्जा कवर्धा

News Desk

Editor in chief, डॉ मिर्जा कवर्धा

संबंधित आलेख

Back to top button
error: Content is protected !!