कलेक्टर गोपाल वर्मा ने उद्योग, कृषि, श्रम विभाग सहित गुड उद्योग संचालकों की ली संयुक्त बैठक.. कलेक्टर ने गुड़ उद्योगों और श्रमिकों का पंजीयन करने के दिए निर्देश,क्षेत्रीय श्रमिकों के रोजगार और कौशल विकास पर दिया जोर
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डॉ मिर्जा कवर्धा
कवर्धा, 8 नवंबर 2024। कबीरधाम जिला छत्तीसगढ़ में गन्ना उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यहाँ खरीफ सीजन में गन्ना कटाई के बाद बड़े पैमाने पर गुड़ उद्योग का संचालन होता है, जिससे क्षेत्र में गुड़ निर्माण की गतिविधियाँ तेज हो जाती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए जिले में बड़ी संख्या में गुड़ उद्योग स्थापित किए गए हैं। कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा ने आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में उद्योग, कृषि, श्रम विभाग सहित गुड उद्योग संचालकों की संयुक्त बैठक ली। बैठक का मुख्य उद्देश्य गुड़ उद्योग की कार्यप्रणाली, श्रमिकों की स्थिति और क्षेत्र के श्रमिकों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के संबंध में चर्चा की गई।
कलेक्टर वर्मा ने कहा कि जिले में संचालित सभी गुड़ उद्योगों का पंजीयन कराना अनिवार्य है। उन्होंने श्रम विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे प्रत्येक उद्योग में कार्यरत श्रमिकों का भी पंजीयन सुनिश्चित करें। इसका उद्देश्य गुड़ उद्योगों में श्रमिकों की स्थिति का रिकॉर्ड रखना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। कलेक्टर ने प्रतिवर्ष गुड़ उद्योग संचालन और वहां कार्य करने वाले श्रमिकों की जानकारी गुड़ उद्योग संचालकों से ली। कलेक्टर ने कहा कि प्रतिवर्ष अन्य राज्यों से श्रमिक बुलाए जाते हैं। कलेक्टर ने निर्देश दिए कि स्थानीय श्रमिकों को प्राथमिकता देकर रोजगार प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि क्षेत्र के श्रमिकों में तकनीकी दक्षता की कमी है, तो उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाए। इसके लिए आईटीआई के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान करें, जिससे श्रमिकों को प्रशिक्षित कर उनके कौशल को विकसित किया जा सके।
कलेक्टर ने गुड़ उद्योग संचालकों को निर्देशित किया कि प्रतिवर्ष श्रमिकों की जानकारी प्रदान करे, ताकि प्रशासन इन श्रमिकों की स्थिति की निगरानी कर सके। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित श्रमिकों की उपलब्धता बढ़ाने से न केवल उद्योग को लाभ होगा, बल्कि क्षेत्र के लोगों को भी बेहतर रोजगार के अवसर मिल सकेंगे। बैठक के दौरान गन्ने के बगास (उप-उत्पाद) के उपयोग और इसके निपटान पर भी चर्चा की गई। कलेक्टर वर्मा ने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे केवीके (कृषि विज्ञान केंद्र) के साथ समन्वय स्थापित करें ताकि बगास का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। इसके साथ ही, गन्ने के बाद बचने वाले पैरा के निपटान के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए गए, जिससे पर्यावरण पर इसका दुष्प्रभाव न पड़े और इसे लाभकारी उत्पादों में परिवर्तित किया जा सके। इस अवसर पर महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग डीएल पुसाम, एमडी शर्मा, उपसंचालक कृषि मोहंती सहित गुड़ उद्योग संचालक उपस्थित थे।