कांग्रेस अध्यक्ष: केसरी के बाद पहली बार अध्यक्ष पद के लिए किसी गैर-गांधी नाम का हल्ला

कहते हैं कांग्रेस ककनूसी नस्ल की है। जिस तरह ककनूस या कुकनू अपने ही द्वारा पैदा की हुई आग में तपकर खुद ही भस्म हो जाता है और फिर अपनी ही राख में से जन्मता है, कहा जाता है, उसी तरह कांग्रेस भी खुद के ही कर्मों से निराश, विफल होती है और उन्हीं निराशाओं, विफलताओं से सबक लेकर फिर बलवान होती है या सफल बनती है। हालाँकि, पिछले आठ- नौ सालों से तो ऐसा कोई चमत्कार हुआ नहीं। इस समय में तो लोगों ने कांग्रेस का पराभव ही देखा है।
निराशा, पराजय या विफलता से उबरने का कोई पल उसके लिए आया ही नहीं। भूले- भटके कोई मौका आया भी तो वह हाथ से चला गया या छीन लिया गया। खैर, फिलहाल कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए चुनाव की कार्यवाही चल रही है। राहुल गांधी ने अध्यक्ष बनने से साफ इनकार कर दिया है। फिर भी जैसी कि कांग्रेसियों की आदत है, सात राज्यों की कांग्रेस कमेटियाँ राहुल को ही अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं। राहुल पद से दूर रहकर कुछ सोचना-समझना चाहते हैं, लेकिन उनके कांग्रेसी मित्र उन्हें यह आजादी भी नहीं देना चाहते।
बहरहाल, अध्यक्ष पद के लिए कल तक शशि थरूर के नाम की चर्चा थी। एक दिन बाद अशोक गहलोत का नाम सबसे आगे आ गया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि गहलोत अगर पार्टी अध्यक्ष बन गए तो राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन बने? सहज और स्वाभाविक नाम जो सामने आता है, वह है- सचिन पायलट। लेकिन बात इतनी आसान नहीं है।
गहलोत अगर मुख्यमंत्री पद छोड़कर संगठन में जाने के लिए मान जाते हैं तो वे मुख्यमंत्री अपना ही बनाएंगे। जहां तक राजस्थान में उनके अपनों की जो सूची है, उसमें सचिन पायलट तो कतई शामिल नहीं हैं। अगर जो गहलोत अध्यक्ष नहीं बन पाए तो समझिए कि मुख्यमंत्री पद के संभावित नामों पर सहमति नहीं हो सकी।
इस बीच पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने स्पष्ट कर दिया है कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा को बीच में छोड़कर नामांकन भरने दिल्ली आने वाले नहीं हैं। इसका मतलब है कि उन्होंने अध्यक्ष पद का चुनाव न लड़ने की ठान ली है। अगर राहुल अध्यक्ष नहीं बने और गहलोत बन गए तो सीताराम केसरी के बाद वे पहले गैर गांधी कांग्रेस अध्यक्ष होंगे। अब केसरी का कार्यकाल तो सबको पता ही होगा।
सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाया जाना था और केसरी साहब कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं थे। पार्टी कार्यकर्ताओं और कुछ नेताओं ने केसरी जी को धकियाते हुए पार्टी कार्यालय से बाहर फेंक दिया था। दरअसल, कांग्रेसियों को गांधी परिवार की बात मानने की आदत है। वे किसी गैर गांधी को अपने ऊपर बर्दाश्त करने के आदी नहीं हैं। गहलोत अगर करिश्मा कर दिखाएं तो अलग बात होगी।
फिलहाल अध्यक्ष के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 30 सितंबर है। वोटिंग 17 अक्टूबर को है और परिणाम 19 अक्टूबर को आएगा। देखना यह है कि क्या इस बार कांग्रेस किसी गैर गांधी को अध्यक्ष चुन पाती है या नहीं? हैरत की बात यह है कि राहुल, गहलोत और थरूर के नामों के चलते भी प्रियंका गांधी का नाम कहीं नहीं है। वैसे 30 सितंबर अभी दूर है। तब तक किस-किस के नामांकन होते हैं, अंदाजा उसी से लग जाएगा।