कबीरधाम (कवर्धा)छत्तीसगढ़

भोरमदेव शिव जी में अर्पित फूल को सुखाकर महिला समूह ने बनाया हर्बल गुलाल ,सुगंधित हर्बल गुलाल के कण-कण में महक रहा फूलों की महिमा ,हर्बल रंगों से चमकेगा आपके और पूरे परिवार के चेहरे का आत्मविश्वास

भोरमदेव हर्बल गुलाल की मांग सबसे ज्यादा, सीमार्ट सहित सभी प्रमुख स्टॉल में हर्बल गुलाल उपलब्ध

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डॉ मिर्जा कवर्धा 

कवर्धा, 03 मार्च 2023। छत्तीसगढ़ में पर्यटन और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों के रूप में कबीरधाम जिले के भोरमदेव मंदिर पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। अब इस मंदिर की प्रसिद्धि को और आगे बढ़ाने में भोरमदेव बाबा में चढ़ने वाले पुष्प और फूल माला भी अपनी अलग भूमिका निभा रही है। कबीरधाम जिले में सक्रिय रूप से काम करने वाली जय गंगा मैया महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं ने भोरमदेव मंदिर में अर्पित होने वाले रंग-बिरंगे फूलों को सुखा कर आपसी भाई-चारे और पवित्र होली त्यौहार के लिए रंग-बिरंगे भोरमदेव हर्बल गुलाल बनाकर एक मिशाल पेश की है। समूह की महिलाओं ने इस बार 200 किलो हर्बल गुलाल तैयार कर होली के लिए बाजार में उपलब्ध करा दिया है। भोरमदेव मंदिर में अर्पित फूलों से बने गुलाल के कण-कण में फूलों की महिमा से गुलाल अपनी खुशबू बिरेख रहा है। समूह की महिलाओं ने भोरमदेव गुलाल आमजनों को आसानी से मिल सके इसके लिए सीमार्ट सहित कलेक्टोरेट, जिले के सभी जनपद पंचायत कार्यालयों और शहर के प्रमुख चौक-चौराहों में अपना स्टॉल लगा लिया है।

भोरमदेव में शिव जी को अर्पित होने वाले फूलों को सुखाकर हर्बल भोरमदेव गुलाल बनाने वाली महिला समूह की अध्यक्ष श्रीमती मोंगरा श्रीवास ने बताया कि यह समूह पिछले चार सालों में भोरमदेव में अर्पित होने वाली फूलों को एकत्र कर हर्बल गुलाल बनाने का काम कर रही है। समूह की पूर्णिमा,सीमा और कमला ने बताया कि इस अलग-अलग रंगों के लिए अलग-अलग फूल और भाजी का उपयोग में लाया जाता है। लेकिन इस बार गुलाल बनाने में सबसे ज्यादा भोरमदेव मंदिर की फूलों को उपयोग में लाया गया है। समूह की कमला और फुलबाई ने बताया कि पीला गुलाल बनाने के लिए गेंदा फूल का उपयोग किया गया है। इसी प्रकार गुलाबी गुलाल के लिए गुलाब फूल और चकुंदर का रंस का उपयोग किया गया है। हरा गुलाल के लिए पालक भाजी और अन्य फूलों के पत्तें को सुखाकर बनाया गया है। समूह द्वारा तैयार की गई सभी गुलाल विशुद्ध हर्बल गुलाल है। समूह की महिलाओं ने बताया कि बाजार में मांग को ध्यान में रखते हुए 30 रूपए, 50 रूपए और 80 रूपए का पैकेट तैयार किया गया है। समूह ने अब तक 50 हजार से अधिक का गुलाल बाजार में उपलब्ध करा दिया है। मांग के आधार पर बजारों में हर्बल भोरमदेव गुलाल उपलब्ध कराई जा रही है। समूह की महिलाओं ने बताया कि समूह सभी त्यौहारों में मार्केट के मांग के आधार पर अलग-अलग समाग्री बनाकर आय का नया जरिया बनाया है।

रसायनिक तत्वों से बने रंग-गुलाल की खरीदी करने से पहले जांच पड़ताल अवश्यक करें

नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉ केशव धु्रव ने बताया कि होली त्यौहार का नाम जुबां पे आते ही सबे के मन और उनके आखों के सामने रंग बिरंगे रंगों से सजी दुकाने नजर आती है। अक्सर हम सब जल्दबाजी में बाजारों में सजी रंग-गुलाल घरों में खेलने के लिए खरीद कर ले आते है, पर हमें खुले बाजारों में बिक रहे रंग और गुलाल की सही जांच पड़ताल करना चाहिए, ताकि होली की रंग खेलते हमारे चेहरे और कोमल त्वजा को रसायनिक तत्वों से बने गुलाल से बचा सके। होली के दिनों में हम यही गलती कर बैठते है, जिससे होली के बाद अधिकाशं लोगों के चेहरें और उनके बालों में रसायनिक रंगों की रिऐक्शन को देखा जा सकता है।

News Desk

Editor in chief, डॉ मिर्जा कवर्धा

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