नगर पंचायत छुरिया के अध्यक्ष व पार्षदो ने व्यक्ति गत लाभ तक रूचि, आबंटन को विवाद मे डाल कर हो गए है मौन?

छुरिया से अकील मेमन की रिपोर्ट
छूरिया देशबन्धु ;- नगर पंचायत छुरिया का वर्तमान काफी बूरी स्थिति में है। नगर पंचायत के कर्मचारियों को तीन माह से वेतन का लाले पड़े हुए है। नगर मे चुने हुए अध्यक्ष व पार्षर्दो को सिर्फ निर्माण कार्य स्वयं के निधि को कहा खर्च करना उससे मतलब है। ज्ञात हो की नगर मे तीन वर्ष पूर्व छूरिया बंजारी रोड के किनारे 101 दूकान का निर्माण कराते वक्त अध्यक्ष व पीआईसी के सदस्यों द्वारा काफी रूचि लिया गया यहां तक निर्माण कार्य के लिए राशि कम पड़ा तो आनन फानन मे नगर पंचायत के जनप्रतिनिधी महत्वपूर्ण मद असंधोरचना मद का राशि 40 लाख रूपये को बैक मे बंधक रखकर कर्ज लिया ताकि अधुरे निर्माण को पूरा करया जा सके इसके पिछे के मकसद को आम जनता समझती है फिर क्या निर्माण तक तो गोलमाल का खेल चलता रहा फीर दूकान आबंटन का समय आया तब प्रभावीतो को छोड़ सारे नियम ताक मे रखकर अपने चहेते हैसीयतदार बन्द कमरे मे सूची चयन कर बाट दूकाने बाट दिया लोगों ने लेनदेन का मय सबूत आरोप भी लगाया अतः गलत आबटंन के विरोध मे प्रभावितो ने मामला को कोर्ट मे लेकर चले मा. न्यायालय ने आबटंन को गलत माना और दूकान आबटंन रोक लगा दिया जिसके चलते वर्तमान मे सारे दूकानो पर तला लग हुआ है।
अध्यक्ष व सदस्यों ने दूकानदारो के भविष्य को संकट मे डाला?
नगर के प्रभावित दूकानदार के मामले पर नगर पंचायत अध्यक्ष व उनके पीआईसी सदस्यों द्वारा ये दलीलो का खबर है ।की उक्त दूकान के निर्माण के समय पी डब्ल्यू डी वन विभाग के प्रमाण पत्रो नहीं ले पाए इसके चलते अब आबटंन सभव नहीं है अब सवाल ये उठता है क्या इन जविबदार जनप्रतिनिधियों को निर्माण के समय इस समस्या का समझ नहीं था जो विवादित जगह पर दूकाने का निर्माण आननफानन मे कराया और तज्जुब का विषय है।नगर पंचायत के महत्वपूर्ण मंद के राशि को बैक मे बंधक बनाकर बकायदा उसके एवज मे कर्ज लिया गबर है ।उक्त राशि का बैक ब्याज वर्तमान मे लगभग 7 लाख चड़ चुका है ।जो नगर पंचायत के जनता के सर पर एक बोझ है। वर्तमान मे हाल ये है जवाबदार जनप्रतिनिधि मुह छिपा कर दूकानदारों के हालात को तमाशा बना कर रख दिया है। बताते है नगर पंचायत के जनप्रतिनिधियो के इस कारनामे के वजह से नगर मे सत्ता दल का किरकिरी हुआ है।
नियम से दूकान आबटंन हुआ तो पार्षद व चहेते व्यपारी हो जाएंगे वचिंत?
अध्यक्ष द्वारा हाल मे जिले के एक कद्दावर नेता के पास एक वार्ड के कुछ लोगों को वन भूमि का पट्टा दिलाने का अश्वासन दिलाने ले जा सकते है ।मगर प्रभावीतो के पहल लिए इनके पास टाईम नहीं है या ये जानते है कि दूकान अगर नियम से बटा तो जिससे इनका कमिटमेंट है उन्हें वे दूकान दे नहीं पाएंगे इसलिए वे मामले पर मौन साधे हुए है।खबर है। 101 दूकान के मामले पर सत्ता दल के नगर अध्यक्ष उपाध्यक्ष चाहे तो गरीब दूकानदारो के लिए बने दूकान का तला खुलवाकर उन्हें दूकान आबटंन का रास्ता निकाल सकते है ।सूत्रो से खबर है । दूकान के मामले पर जिस व्यक्ति द्वारा हाईकोर्ट से स्थगन आदेश लाया गया है ।जानकारी है उनका शर्त है ।ईमानदारी से दूकाने प्रभावीतो को आबटंन करे तो वे जनहित मे अपना आवेदन कोर्ट से वापिस ले सकते है नगर पंचायत के जनप्रतिनिधियों पर आरोप है ।स्थानीय जनप्रतिनिधि इस मामले पर मौन साध कर सिर्फ मजा रहे इन्हें निकाय का 1 .करोड़ पच्चीस लाख रूपया जो दूकान निर्माण मे लगा है उक्त राशि के नूकसान से कोई मतलब नहीं है।येलोग नगर पंचायत को तमाशा का अड्डा बना दिया है।
Editor In Chief
डॉ मिर्जा कवर्धा