कबीरधाम (कवर्धा)छत्तीसगढ़

वनमंत्री के विधानसभा में बहुमूल्य सागौन को वन विभाग ने किया चोरों के हवाले…जंगल का हो रहा सफाया ,मीडिया के समाचार दिखाने के बाद भी नेताओं के संज्ञान में नहीं आ रहा है मामला

मानो ऐसा लग रहा है जैसे इन्हीं अधिकारियों के वोटों से बनतीं है सरकार...वन विभाग के बड़े अधिकारियों के ऊपर क्यों नहीं होती कार्यवाही ,जनता के ऊपर दुनियाभर के नियम कानून और इनको खुली छूट ग़ज़ब का खेल है

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डॉ मिर्जा कवर्धा 

कवर्धा… छत्तीसगढ़ के वन मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र विधानसभा के बोडला विकासखंड है जो लगभग पूर्णतः जंगल क्षेत्रों में आता है वही के वन विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते मामले अधिकांशत सामने आते ही रहते हैं। वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही उनकी कार्यप्रणाली को संदेहात्मक बनाती है। जिसके चलते क्षेत्र में वनों की कटाई पर रोक नहीं लगा पाती है। दरअसल इसी लापरवाही के कारण ही वनों की कटाई पर अंकुश नहीं लग पाता है और विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी अपने मे मस्त रहते है क्योंकि कही न कही ऊपर से आशीर्वाद है…

आग लगे जंगल मे और वन विभाग के अधिकारी रहे मंगल मे

क्योंकि ऐसा लगता है जैसे इन्हीं अधिकारी कर्मचारी के बदौलत इन्हीं के वोट से नेता मंत्री बनते है.

कमाल का खेल है नेता जनता बनाती है और मजे अधिकारी लेते है 

कबीरधाम जिले में आये दिन हरे भरे वृक्षों को काटा जा रहा है प्राय देखा गया है कि वन विभाग की टीम अपनी अधिकांश कार्यवाही में केवल ठूंठ पर हेमर मारकर ही इति श्री कर लेता है जिसके चलते वृक्ष की कटाई निरंतर जारी है। कबीरधाम वन मंडल अंतर्गत वनपरिक्षेत्र कवर्धा (सामान्य) वन परिक्षेत्र के बीट क्रमांक 63 बंजारी के आसपास जिसका सफल सागौन वृक्षा रोपण कार्य सन 1959 360 आसपास किया गया था जहा अच्छी क्वालिटी के सागौन के वृक्ष रोपे गए थे जो अब बड़े होकर बहुमूल्य पेड़ बन चुके है जिन्हें वन विभाग ने अब चोरो के हवाले कर दिया है। जिन पर लकड़ी चोरी करने वालों की नजर जमी रहती है। लेकिन वन विभाग की उदासीनता के चलते अब यहाँ प्लानटेंशन पर अब लकड़ी चोरों का राज है मौके पर इस बहुमूल्य वन संपति का जमकर दोहन हो रहा है और वन विभाग का भरपूर अमला तैनात है इस प्लांटेशन से सड़क के किनारे ही जब सागौन को इतनी अवैध कटाई हो रही हो तो जंगल के अंदर कितनी कटाई हो रही होगी यह कल्पना की जा सकती है बीट क्रमांक 63 में जगह जगह ठूंठ दिखाई देने लगे है। वनविभाग के लापरवाह अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा अनदेखी की जा रही है चोरों द्वारा के पेड़ चोरी कर ले जा चुके है और इसकी भनक तक विभाग को नहीं लग पाई है इतना ही नही प्लान्टेशन के अंदर ही चोरों द्वारा हांथ आरा से पल्ले बनाने का काम बेधड़क चल रहा इससे प्रतीत होता हैं कि वन अमला ने हो इन चोरो को खुली छूट दे रखी है और यहाँ स्पष्ट होता है कि वन विभाग ने यह बेश कीमती सागौन प्लांटेशन अब चोरो के हवाले कर दिया है। जिससे वनों में सागौन का तेजी से सफाया होता जा रहा है ज्ञात हो कि यह प्लांटेशन में हरे-भरे सागौन के पेड़ों को अवैध कटाई हो रही है। लेकिन अवध कटाई पर वन विभाग अंकुश नहीं लगा पा रहा है। पुनः ज्ञात हो कि क्रमांक 63 और 63 मे सुनियोजित तरीके से सागौन तस्करों के द्वारा लगातार सागौन की तस्करी करने का मामला सामने आया है लेकिन वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी अभी भी इस मामले से बेखबर है जिसका फायदा सागौन तस्करों के द्वारा खुलेआम उठाया जा रहा है। बोडला से महज 13 किमी के दायरे में जंगल क्षेत्र लगातार अवैध कटाई के चलते सिमटते जा रहा है जिसे लेकर वन विभाग मौन है और कार्यवाही किये जाने की बात भी कर रहे हैं। नेशनल हाईवे रायपुर जबलपुर पक्की सड़क मार्ग से लगे हुए सागौन के प्लांटेशन से लगातार प्रायोजित तरीके वन तस्करों के द्वारा खुलेआम बेशकीमती सागौन वृक्षों को अधिक मात्रा में अवैध कटाई कर तस्करी किया जाने लगा है जिसकी कटाई हाँथ आरा में किया गया चिरान, बेखौफ होकर बनाया गया जंगल के बीचो बीच चोरों को ठहरने के स्थान बना हुआ जिससे आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि खुलेआम तस्करों के द्वारा बाहरी व्यक्तियों को बेचे जाने के शंका को नकारा नहीं जा सकता और ना वन विभाग के कर्मियों की मिलीभगत को भी नहीं नकारा जा सकता पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने वन विभाग असफल दिख रहा है यूं कहें कि वन विभाग अवैध कटाई व वन तस्करों के संरक्षण को लेकर कार्य कर रहा है कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। सड़क किनारे खुलेआम लगातार वन तस्करों के द्वारा अवैध कटाई को अंजाम दिया जा रहा है लेकिन यहां तैनात फारेस्ट गार्ड, चैकीदार और डिप्टी रेंजर के द्वारा रोकथाम क्यों नहीं की गई और वह भी वन विभाग के ठौक नाक के नीचे अवैध कटाई सागौन ठूंठ के निशान तस्करों के साथ मिलीभगत होने की ओर ईशारा कर रहा है। जैसे भी हो खुलेआम सागौन वृक्षों की कटाई होने का भरपाई नहीं किया जा सकता लेकिन मैदानी अमले के वन कर्मचारियों के द्वारा शुरुआती दौर में ही सघन जांच-पड़ताल किए जाने से बेशकिमती सागौन वृक्षों का दुर्दशा नहीं होता और खुलेआम वन तस्करों के द्वारा सागौन लकड़ी को चोरी नहीं किया जाता। लाखों रुपयों को क्षति छत्तीसगढ़ वन विभाग का हुआ है जिसका भरपाई करना मुश्किल है।

सागौन की अवैध कटाई आधिकारी मौन वर्षों से हो रही अवैध कटाई पर वन विभाग का मौन रहना आश्चर्यजनक है। एक ओर तो कृषक वन भूमि पर कटाई कर अवैध कब्जा कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर लकड़ी तस्कर इमारती लकड़ी विशेषकर बेशकीमती सागौन की लकड़ी की अवैध कटाई कर उसे चोर चोरी छुपे फर्नीचर बनाकर बेचने में निरंतर बेखौफ लगे हैं। यह भी सही हैं कि अवैध कटाई से लेकर फर्नीचर के निर्माण व विक्रों का पूरा कार्य खुलेआम चल रहा है। फिर भी वन विभाग के अधिकारियों का आंख मूंदकर बैठना यह साबित करता है कि जंगलों की अवैध कटाई वन विभाग की सरपरस्ती पर खुलेआम चल रही है। जंगलों के संरक्षण संवर्धन तथा वनों की सुरक्षा के लिए केंद्र व राज्य सरकार प्रतिवर्ष क्षेत्र में करोड़ों रुपए खर्च कर रही है किंतु पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने में वन विभाग पूरी तरह असफल रहा है या यूं कहें कि वन विभाग अवैध कटाई व वन तस्करों के संरक्षण को लेकर कार्य कर रहा है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

वन सुरक्षा समितियां हैं पंगु

शासन ने पर्यावरण को बढ़ावा देने वनों की सुरक्षा करने गांव-गांव में वन सुरक्षा समितियों का गठन भी किया है जो वन की सुरक्षा के साथ साथ पर्यावरण जागरूकता के लिए भी कार्य करती हैं किंतु यहां तो वन सुरक्षा समिति सिर्फ कागजों में बनी हुई है। इसलिए वनों की सुरक्षा ताक पर है और वन तस्कर खुलेआम शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाकर सागौन के पेड़ो को काट कर चोरी कर रहे हैं। नेशनल हाईवे के किनारे ही दर्जनों तादाद में सागौन के पेड़ों की कटाई दिखाई दी।

रिपोर्टर मेघा यादव की रिपोर्ट

News Desk

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