हरा सोना से ग्रामीणों के चहरे में आई चमक. आए बढ़ने से परिवारिक स्थिति में भी आया सुधार
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डॉ मिर्जा कवर्धा
कवर्धा- जंगलों में मिलने वाले हरे सोने ने ग्रामीणों के परिवारिक जीवन में बड़ा बदलाव लाया है. लोगों की आऐ दो गई हुई है तो वहीं बच्चों के शिक्षा के लिए भी सहायता मिल रही है।
दरअसल इन दिनों जिले में तेंदूपत्ता तोड़ने का सीजन चल रहा है. वनांचल क्षेत्र के आसपास रहने वाले बड़ी संख्या में ग्रामीण संग्रहक के रुप में काम कर रहे हैं. जंगल से तेंदूपत्ता तोड़कर लघु वनोपज समिति को विक्रय कर रहे हैं. इससे उनको अच्छा खासा आमदनी हो रहा है. साथ ही दसवीं- बारहवीं की शिक्षा हासिल कर चुके बच्चों को मोटी रकम स्कालरशिप के रुप में दिया जा रहा है.इससे ग्रामीण बेहद खुश हैं और उनके ग्रामीणों की स्थिति में भी बड़ा बदलाव भी है।
258 जगहों पर की जा रही तेंदूपत्ता खरीदीं
कबीरधाम जिले के 19 प्राथमिक लघु वनोपज समितियों के 258 स्थान में तेंदूपत्ता की खरीदी कि जा रही है. जिले के 04 हजार से अधिक ग्रामीण तेंदूपत्ता तोड़ने का काम कर रहे हैं. वर्ष 2022-2023 में शासन द्वारा जिले में 40 हजार 100 मानक बोरा तेंदूपत्ता खरीदीं का लक्ष्य रखा गया है. वहीं 15 मई तक 22000 मानक बोरा की खरीदी कर ली गई है. जोकि लक्ष्य का 60 प्रतिशत पुरा हो चुका है. 25 मई तक खरीदी की जानी है बचा लक्ष्य भी आसानी से पुरा कर लिया जाऐगा।
ग्रामीणों ने बताया कि तरहां उन्होंने फायदा मिला।
ग्रामीण दिनेश्वर यादव ने बताया वनांचल के पास रहने के कारण वनों से मिलने वाली वनोपज से ही उनका परिवार चलता है तेंदूपत्ता तोड़ने का कार्य वर्षों से करते आ रहे है. पूर्व सरकार की सरकार के दौरान तेंदूपत्ता बेचकर सिर्फ जीवन यापन कर पाते थे. लेकिन नई सरकार आने के बाद तेंदूपत्ता की किमत 2500 से बढ़ाकर 4000 रुपए कर दिया गया है. साथ ही बोर्ड परीक्षा में अच्छे नंबर लाने वाले संग्रहको बच्चों को 25 हजार से 30 हजार रुपए की छात्रवृत्ति भी दी जाती है. वही जंगल में दुर्घटना होने पर इलाज का खर्च भी सरकार उठाती है.और समय में भुगतान भी ओनलाइन खाता में आ जाता है. इससे ग्रामीणों को बहुत लाभ हुआ है. पहले कुछेक ग्रामीण ही तेंदूपत्ता तोड़ने जंगल जाते थे लेकिन अब सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण तेंदूपत्ता तोड़ते हैं और इसका लाभ ले रहे हैं.
उच क्विंटल का ही पत्ता की होती है खरीदी।
तेंदूपत्ता फड़ में वनकर्मियों को प्रभारी बनाया गया है साथ में लघु वनोपज समिति के एक सदस्य को मुंशी बनाया गया है. दोनों व्यक्ति तेंदूपत्ता की गुणवत्ता की जांच कर संग्रहक से तेंदूपत्ता खरीदते हैं और इसके डेटा विभाग को भेजते हैं जिसके बाद उनको राशि का भुगतान किया जाता है।
डीएफओ ने बताया की
डीएफओ चुड़ामणि सिंह ने बताया की कबीरधाम जिले में वर्ष 2022-23 में तेंदूपत्ता खरीदीं कर लक्ष्य 40 हजार 100 मानक बोरा रखा गया है जोकि 15 मई की स्थिति में 60 प्रतिशत पूरा हो चुका है जल्द ही लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा।