इंटैक की संगोष्ठी में योगेश्वर राज ने जमीनी स्तर पर लोकसंस्कृति के संरक्षण पर जोर दिया

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डॉ मिर्जा कवर्धा
कवर्धा। भारतीय सांस्कृतिक निधि कवर्धा अध्याय, इंटैक कवर्धा चैप्टर, के तत्वावधान में सर्किट हाउस में रविवार 4 जून की शाम को एक संगोष्ठी आयोजित की गई। विषय था–“कबीरधाम जिले का पुरातत्व और संरक्षण के उपाय”। मुख्य अतिथि थे इंटैक कवर्धा अध्याय के कन्वेनर योगेश्वर राज सिंह। आदित्य श्रीवास्तव, अजय चन्द्रवंशी, समयलाल विवेक, महेश आमदे, प्रह्लाद पात्रे, नरेन्द्र कुमार कुलमित्र, महेन्द्र सिंह खनूजा एवं नीरज मनजीत संगोष्ठी के वक्ता थे। ज्ञात हो कि कला संस्कृति पुरातत्व के संरक्षण एवं पुनर्स्थापना के उद्देश्य से 1984 में इंटैक का गठन किया गया था। आज पूरे भारत में 215 शहरों में इसके अध्याय काम कर रहे हैं। योगेश्वर राज सिंह ने अपने व्यक्तव्य में पुरातत्व संरक्षण के साथ जनजीवन से जुड़े तालाब वृक्ष नदी-नालों आदि के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने भविष्य में विद्यार्थियों और शोधार्थियों के सहयोग से और बेहतर कार्य करने की बात कही। इंटैक के को-कन्वेनर महेन्द्र सिंह खनूजा ने संस्था द्वारा पूर्व में किए गए कार्यों का विवरण दिया। नीरज मनजीत ने इंटैक के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि 2007 में संयुक्त राष्ट्र ने इंटैक को एक विशेष सलाहकार का दर्जा दिया है। आदित्य श्रीवास्तव ने कहा कि कबीरधाम जिला प्राकृतिक, सांस्कृतिक, धर्म,अध्यात्म एवं पुरातत्व की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध रहा है और इन धरोहरों को कवर्धा रियासत के द्वितीय राजा उजियार सिंह जी के कार्यकाल सन 1802 से ही सहेजने का प्रयास हुआ है। अजय चन्द्रवंशी ने अपने शोध का जिक्र करते हुए कहा कि भोरमदेव के आसपास सोमवंशी राजाओं के काल की मूर्तियां भी मिली हैं। महेश आमदे ने बताया कि भोरमदेव में सती प्रतिमाएं मिली हैं। समयलाल विवेक ने अपने विस्तृत आलेख में लोककलाओं लोक संस्कृति को सहेजने की बात कही। प्रह्लाद पात्रे ने बैगा जनजाति की संस्कृति और लोकगीतों के संरक्षण पर जोर दिया। नरेन्द्र कुलमित्र ने मैकल पर्वतश्रेणी के आसपास के पुरातात्विक महत्व को रेखांकित करते हुए संरक्षण के उपयोगी सुझाव दिए। आखिर में आभार प्रदर्शन संतोष यादव ने किया। संगोष्ठी में बीपी गुप्ता, हरीश गाँधी, रामेश्वर गुप्ता, एस एस जैन, ललित चन्द्रवंशी, पुष्पांजलि नागले, सोम वर्मा, सुखदेव अहिलेश्वर, रमेश चौरिया nareshu Chandrakar Lalit chandravanshi Akhilesh Tamboli सहित अनेक साहित्यकार सुधीजन उपस्थित थे।