कबीरधाम (कवर्धा)छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के विशेष पिछड़ी जनजातियों के दल ने राष्ट्रपति से भेंट-मुलाकात की ,विशेष पिछड़ी बैगा समाज के प्रमुख ने छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रकाशित पुस्तक बैगा आदिम जाति के इतिहास एवं संस्कृति से संबंधित पुस्तक भेंट किया

पांच विशेष पिछड़ी जनजातियों के प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति का बिरनमाला से स्वागत किया

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डॉ मिर्जा कवर्धा

कवर्धा, 15 जून 2023। छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में निवासरत पांच विशेष पिछड़ी जनजातियों बैगा, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर, कमार और अबूझबाड़ के प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू से नई दिल्ली में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समुदाय सम्मेलन में भेंट-मुलाकात की। राष्ट्रपति  मुर्मू ने छत्तीसगढ़ से गए सभी जनजातियों से सीधा संवाद किया और उनके संस्कृति, रीति-रिवाजों सहित सभी पहलुओें से रूबरू हुए। कबीरधाम जिले में निवारसरत विशेष पिछड़़ी बैगा जनजाति के मुखिया ईतवारी बैगा मछिया ने आदिम जाति कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रकाशित पुस्तक बैगा आदिम जाति के इतिहास एवं संस्कृति से संबंधित पुस्तक भेंट की। छत्तीसगढ़ से गए सभी जनजातियों के समूह ने राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू का बैगा जनजातियों के विशेष श्रृंगार बिरनमाला से स्वागत भी किया। इसके बाद सभी जनजातीय समूह ने संसद भवन का भ्रमण किया और वहां लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला से भेंट मुलाकात की और अपनी संस्कृति और रीति-रिवाजों से अवगत कराया। कबीरधाम जिले में निवासत विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा के प्रतिनिधि मंडल में ईतवारी राम मछिया प्रदेश अध्यक्ष आदिम जाति बैगा समाज, श्री पुसूराम बैगा अध्यक्ष बैगा विकास अभिकरण सेमलाल बैगा,  सोनालाल बैगा सदस्य बैगा विकास अभिकरण,  जगोतीन बाई बैगा एवं श्रीमती बैसाखीन बाई बैगा शामिल हुए।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में 17 जिलों में केन्द्र सरकार द्वारा चिन्हांकित विशेष पिछड़ी पांच जनजातीय समुदाय निवारसत है। पांच विशेष पिछड़ी जनजातिया मेंं बैगा, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर, कमार और अबूझबाड़ शामिल है। विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति बैगा, कबीरधाम, मनेद्रगढ़, गौरेला,पेड्रा मरवाही, राजनांदगांव और मुंगेली में निवारसत है। इसी प्रकार पहाड़ी कोरवा, सरगुजा, जशपुर, बलरामपुर और कोरबा जिले में निवारसरत है। बिरहोर जनजाति, जिला कोरबा, रायगढ़, बिलासपुर, जशपुर में निवारसत है। कमार जनजाति, जिला गरियाबंद, धमतरी, कांकेर और महासमुंद में निवासरत है। विशेष पिछड़ी जनजाति अबूझमाड़ जिला नारायपुर में निवारसत है।

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Editor in chief, डॉ मिर्जा कवर्धा

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