कबीरधाम (कवर्धा)छत्तीसगढ़

वक्त के हाथों में सबकी तकदीरें है…. आईना झूठा है सच्ची तस्वीरें है…. वो तरक्की भी किस काम की… की जब अपनो की जरूरत हो तो अपने ही साथ ना हो दुनिया को अलविदा कहकर खुद बेसहारा होकर इस दुनिया से चले गये सुब्रत रॉय सहारा….

Editor In Chief

डॉ मिर्जा कवर्धा

यह दुनिया गम तो देती है पर सरीके के गम नहीं होती और किसी की दूर जाने से मोहब्बत कम नहीं होती

‘सहारा श्री की अंतिम क्रिया में नहीं शामिल हुए उनके दोनों लड़के,और पत्नी भी नहीं आईं।

 यह सिर्फ खबर भर नहीं है,यह

 आईना है जीवन का जिसमें हमें 

 और आपको अपनी छवि गौर से

 देखनी चाहिए ।

सुब्रत रॉय अर्थात् सहारा श्री

 आज पंचतत्व में विलीन हो

 गया।

 उनके पोते ने उन्हें मुखाग्नि दी

 उनके अंतिम क्रिया के वक्त

 उनके शुभचिंतक नजर आये।

अगर कोई उनकी अंतिम यात्रा के

 वक्त नहीं दिखे तो वे थी उनकी

 पत्नी और उनके दोनों बेटे

 उनकी मौत के वक्त भी उनके

 परिवार का कोई सदस्य उनके

 पास नहीं था…। 

पत्नी और बेटे तक नही।

यह वही सहारा श्री थे जिनके कारोबार की धाक कभी पूरी दुनिया भर में फैली थी

 चिट फण्ड, सेविंगस फाइनेंस मीडिया,मनोरंजन,एयरलाइन

 न्यूज़,होटल,खेल,‌भारतीय

क्रिकेट टीम का 11 साल तक स्पान्सर,वगैरह वगैरह..

ये वही सहारा श्री थे जिनकी महफिलों में कभी राजनेता से लेकर अभिनेता और बड़ी बड़ी हस्तियां दुम हिलाते नजर आते थे…

ये वही सहारा श्री थे जिन्होंने अपने बेटे सुशान्तो-सीमांतो की शादी में 500 करोड़ से भी अधिक खर्च किए थे।

ऐसा भी नहीं था कि सहारा श्री ने अचानक दम तोड़ा* ! उन्हें कैंसर था और उनके परिवार के हरेक सदस्य को उनकी मौत का महीना पता होगा लेकिन तब भी अंतिम वक्त में उनके साथ, उनके पास परिवार का कोई सदस्य नहीं था…! बेटों ने उनके शव को कांधा तक नहीं दिया…!

तो,यही सच्चाई है जीवन की । जिनके लिए आप जीवन भर झूठ-सच करके कंकड़-पत्थर जमा करते हैं…जिनके लिए आप जीवन भर हाय-हाय करते रहते हैं… जिनकी खुशी के लिए आप दूसरों की खुशी छीनते रहते हैं… जिनका घर बसाने के लिए आप हजारों घर उजाड़ते हैं…

जिनकी बगिया सजाने और चहकाने के लिए आप प्रकृति तक की ऐसी तैसी करने में बाज नहीं आते…

वे पुत्र और वह परिवार आपके लिए, अंतिम दिनों में साथ तक नहीं रह पाते!

कभी ठहरकर सोचिएगा कि आप कुकर्म तक करके जो पूंजी जमा करते हैं 

उन्हें भोगने वाले आपके किस हद तक अपने’ हैं…? 

अंगुली माल से बुद्ध ने यही तो कहा था कि “मैं तो कब का ही रूक गया, तुम कब रूकोगे…”

आज मैं आप सभी से पूछना चाहता हूं – “हम सब कब रूकेंगे..

मित्रों इसलिए अपने अस्तित्व को पहचानों,मानव शरीर नश्वर है एक न एक दिन अपनी दिन जीवन लीला को समाप्त करके परलोक जाएगा ही जाएगा,इसलिए *हमेशा ऐसे कर्म करिए कि तुम्हारे न होने की स्थिति में लोग तुम्हें याद जरूर करें न कि मरणोपरांत भी लोग आपको अपयश का ही भागी बनाए।

                                         

                  💐 विनम्र श्रद्धांजलि💐

News Desk

Editor in chief, डॉ मिर्जा कवर्धा

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