मैकल श्रेणी पर्वत से सटे बड़ौदा खुर्द में लगे कर्रा नाला नदी में आज तक भी पूल का निर्माण नहीं होने से ग्रामीण तथा राहगीर, जान जोखिम में डालकर नदी पार करने में मजबूर.. सरकार से उम्मीदें तथा आशा बनाए बैठे ग्रामीण, फिर भी इनकी आशायो में सरकार की ओर से कोई जवाबी कार्यवाही नही..देखें विडियो गाड़ियां और मोटरसाइकिल लेकर कैसे अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हुए दिखाई दे रहे हैं..
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डॉ मिर्जा कवर्धा
कवर्धा। प्रदेश में लगातर कुछ दिनों से बारिश का सितम जारी है जिनके चलते राज्य के कई जिले के नदी नाले उफान पर है वही कई जिलों के सुदूर वनांचल गांवों में नदी में पुल पुलिया का निर्माण नहीं होने ग्रामीणजन हताश एवम् निराश मायूस भरे दिन गुजराकर नदी पार करने में मजबूर है।
यह बात यू ही नही बल्की हकीकत है, जहा कवर्धा जिले में स्थित सहसपुर/लोहारा ब्लॉक के अन्तर्गत आने वाले मैकल श्रेणी पर्वत से सटीक लगे ग्राम बड़ौदा खुर्द का है जिसमे कर्रानाला नदी दक्षिण से बीच घने जंगल से निकलकर पूर्व की ओर बहती है जहा आज भी इस कर्रा नाला नदी में पुल का निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों में अत्यधिक परेशान एवम् निराशा बने हुए है,
ग्रामीण बताते है की यह कई सत्ताधारी सरकार आते है देखते है और फिर चले जाते है लेकिन फिर भी कार्यवाही करने में सक्षम नजर नहीं आते है, ग्रामीणों का यह भी आरोप है की पिछले कांग्रेस की शासन काल में पुल बनाने का आश्वासन दिया था किंतु उनका भी दिन गुजर चुका फिर भी पुल बनाने में कोई जवाब ही नहीं दिया गया,
ग्रामीण जन अपनी समस्या को लेकर बयां करते है की है बारिश की सीजन में हम ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करके नदी के उस पार लगे खेतो में काम करने जाते है, ग्रामीण तो ग्रामीण है ,दूर दराज से आने वाले राहगीरों को भी अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करते है।
बाबा शिव की नगरी भोरमदेव , सावन महीना कांवरिया भाई नदी पर करते जान खतरे में रहते है
आपको बता दे की अभी सावन का महीना चल रहा है, जिसमे बाबा भोलेनाथ के श्रद्धालु कावंरिया वाले भाई बंधु इन्ही रास्तों से गुजरकर सीधे छत्तीसगढ़ का खजुराहो भोरमदेव पैदल यात्रा करते है, इन्ही रास्तों में कई पर्यटन स्थल भी है जिनमे लोग भ्रमण के लिए जाते है किंतु नदी में बाढ़ आने के कारण नदी पार करने में कठिनाइयां देख,पार करने की वजह से मायूस मन से वापस लौट जाते है,
अभी छत्तीसगढ़ प्रदेश में बीजेपी की सरकार बने हुए है जिनमे गांव के लोग इन्ही पार्टी से आशय एवम् उम्मीदें लगाई बैठी है
आपको बताते चले की मीडिया के माध्यम इस इस खबर को कई बार अखबार में प्रकाशित किया गया था किंतु सरकार की इस कोई फैसला नहीं,अभी तक चुप, इस कर्रा नदी पर कोई जवाब ही नहीं दिया गया,
अब देखने वाली बात यह है की क्या? इस ग्राम के पूल में सरकार ध्यान आकर्षित करते है या नही , या फिर ग्रामीणों को ऐसी ही मुस्कीले भरे दिन गुजरकर जान जोखिम में डालकर नदी पार करने में लगे होते है,,