जनवादी लेखक संघ के वैचारिक आयोजन में पुस्तक चर्चा हुई, काव्य पाठ व प्रेरक संबोधन भी हुए..

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डॉ मिर्जा कवर्धा
पिपरिया। छत्तीसगढ़ जनवादी लेखक संघ की जिला इकाई ने 8 दिसंबर रविवार को “कबीरा खड़ा बाजार में प्रगतिशील मंच” तथा स्वामी आत्मानंद स्कूल के सहयोग से एक राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी में दुर्ग के दो साहित्यकार बद्रीप्रसाद पारकर तथा कमलेश चंद्राकर की पुस्तकों पर चर्चा हुई। पारकर की पुस्तक “धीरे-धीरे उतरे पार” पर आलेख पढ़ते हुए कवि समीक्षक अजय चंद्रवंशी ने कहा कि “केंवट समाज में जन्में लेखक पारकर ने संघर्ष की गाथा को जिस ढंग से लिखा है, वह प्रशंसनीय है। समाज में निचले पायदान पर रहने वाले लोगों का जीवन संघर्ष कितना कठिन होता है यह हम इस किताब को पढ़कर जान पाते हैं।” कमलेश चंद्राकर की बाल कविताओं की चार किताबों पर नरेन्द्र कुमार कुलमित्र ने कहा कि “बच्चों के लिए ही नहीं, बड़ों के लिए भी बहुत कुछ सीखने लायक बातें इन किताबों में हैं। ये कविताएॅं गाई जा सकती हैं। इनमें संगीत की लय है।” समीक्षक सुखदेव सिंह अहिलेश्वर ने आलेख वाचन करते हुए हिन्दी की मजबूत बालगीत परंपरा के इतिहास को रेखांकित किया और कमलेश को इसी परंपरा का वर्तमान दौर का महत्वपूर्ण कवि बताया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष एवं देश के ख्यात कथाकार डॉ. परदेशीराम वर्मा ने प्रदेश में जिला इकाइयों की सक्रिय भूमिका के संबंध में जानकारी देते हुए सार्थक लेखन पर विस्तार से बात रखी। कार्यक्रम के विशेष अतिथि नीरज मंजीत ने कहा कि ” पारकर की आत्मकथा में सरल भाषा और ग्राम्य जीवन का सौंदर्य है।” कवि समीक्षक पी.सी. रथ ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कविताओं और कथाओं की महत्ता को जीवन विकास की कड़ी के रूप में महत्वपूर्ण बताया। उपन्यासकार नंदन ध्रुव ने बच्चों से कहा कि “वे पढ़ लिखकर जीवन में अपनी दिशा में आगे बढ़ें और साहित्य को जीवन में महत्व देकर उसे सरस भी बनाएँ। साहित्य व्यक्तित्व को और मजबूत बनाता है। साहित्य से हम एकता, संघर्ष और उदारता का पाठ पढ़ते हैं।” जनवादी लेखक संघ के जिलाध्यक्ष समय लाल विवेक ने स्वागत भाषण दिया। कमलेश चंद्राकर, बद्रीप्रसाद पारकर तथा नगर के युवा कवि सात्विक श्रीवास्तव ने रचना पाठ किया। स्कूल की दो छात्राओं सुहानी देवांगन और भावना देवांगन ने स्वरचित कविताएँ सुनकर खूब तालियां बटोरी। शाला प्राचार्य सतीश कुमार बंजारे ने कार्यक्रम के अध्यक्ष की आसंदी से बोलते हुए कहा कि “ऐसे वैचारिक कार्यक्रमों से बच्चों को प्रेरणा मिलती है एवं राज्य के चर्चित साहित्यकारों से मिलकर उनसे रचना-पाठ सुनना बच्चों को आगे बढ़ने हेतु प्रेरित करेगा।”
डॉ. वर्मा ने प्राचार्य को देवदास बंजारे पर लिखित पुस्तक “आरूग फूल” भेंट की। संचालन भागवत साहू ने किया। विद्यालय की ओर से विनोद चंद्रवंशी ने आभार जताया। कार्यक्रम में वरिष्ठ शिक्षक दशरथ सोनी सहित स्मिता वर्मा, सात्विक श्रीवास्तव, नीतीश, प्रशांत शर्मा, संजय पराते, सोमप्रकाश वर्मा, संतराम थवाइत, रमेश चौरिया, राजाराम हलवाई, बृजेन्द्र श्रीवास्तव, प्रहलाद पात्रे, अश्विनी कोसरे, नारद चंद्रवंशी, चतुर चंद्रवंशी तथा क्षेत्र के प्रमुख रचनाकार समाज सेवी कलाकार उपस्थित थे।