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वीर साहिबजादों की गाथा सिखाती हैं धर्म राष्ट्र के लिए सर्वस्व समर्पण :डॉ.वीरेन्द्र, सच्ची वीरता और धर्म की रक्षा के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं: डॉ.वीरेन्द्र साहू

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डॉ मिर्जा कवर्धा 

कवर्धा। जिला मुख्यालय कवर्धा में संचालित पंथ आचार्य गृन्धमुनिनाम साहेब शासकीय महाविद्यालय में मंगलवार को वीर बाल दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि जनपद पंचायत कवर्धा के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र साहू उपस्थित थे। इसके अलावा इस कार्यक्रम में सिख समाज के वक्ता गुरदीप अरोरा,जिला भाजपा उपाध्यक्ष जसबिंदर बग्गा, जनभागीदारी सदस्य अजय ठाकुर, शिवचरण ठाकुर, प्राचार्य ऋचा शर्मा, प्रोफेसर दीपक देवगन सहित बड़ी संख्या में महाविद्यालयीन छात्र छात्राएं उपस्थित थीं। कार्यक्रम में उपस्थित जनो को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. वीरेन्द्र साहू ने कहा कि आज हम सभी यहां वीर बाल दिवस के अवसर पर एकत्रित हुए हैं। यह दिन उन महान बाल वीरों को समर्पित है जिन्होंने अपने अदम्य साहस, बलिदान और दृढ़ संकल्प से हमें सिखाया कि सच्ची वीरता और धर्म की रक्षा के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं होता। डॉ. वीरेन्द्र साहू ने वीर बाल दिवस का महत्व बताते हुए कहा कि वीर बाल दिवस, विशेष रूप से गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह के बलिदान को स्मरण करने का दिन है। उन्होने बताया कि आज वीर बाल दिवस केवल एक स्मरण दिवस नहीं है, बल्कि यह हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। उन्होने बताया कि वीर साहिबजादा जोरावर सिंह, फतेह सिंह, गुरु गोबिंद सिंह के छोटे साहिबजादे, का जन्म क्रमश: 28 नवंबर 1696 और 25 फरवरी 1699 को आनंदपुर साहिब, पंजाब में हुआ था। दोनों साहिबजादे अपनी छोटी उम्र में ही अद्वितीय साहस, निष्ठा और धर्म के प्रति समर्पण के प्रतीक बन गए। वे सिख धर्म और संस्कृति के लिए अपने महान बलिदान के कारण इतिहास में अमर हैं। उनके बलिदान को याद करते हुए हर सिख परिवार और पूरे देश के लोग उन्हें आदरपूर्वक स्मरण करते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे छोटे-से-छोटे बच्चे भी साहस और समर्पण के बल पर महान इतिहास रच सकते हैं। उन्होने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों ने न सिर्फ अपने परिवार बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर दिखाया। सबसे छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को मुगलों ने जीवित दीवार में चुनवा दिया, लेकिन उन्होंने कभी अपने धर्म और सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। डॉ साहू ने कहा कि ऐसे वीरता के किस्से सुनकर हमारा हृदय गर्व से भर जाता है। उनके बलिदान का संदेश यही है कि हमें सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए, चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों। साहिबजादों की गाथा हमें सिखाती हैं कि धर्म,न्याय और मानवता के लिए सर्वस्व न्योछावर करना सच्चा जीवन है। उन्होने कहा कि आज, हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम भी उनके दिखाए गए मार्ग पर चलें। हम अपने समाज में नैतिकता, सत्य और साहस का प्रसार करें। हमारी पढ़ाई, हमारे काम, और हमारे विचार इन आदर्शों को दर्शाने चाहिए।

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