सोसायटी: अरब देशों में तलाक लेने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी
कई देशों में बहुविवाह प्रथा पर प्रतिबंध, तीन तलाक पर रोक
वर्षों पहले अरब देशों में तलाकशुदा महिलाएं तिरस्कार की पात्र थीं। लेकिन अब तलाक सामान्य हो रहे हैं। 2000 में महिलाओं के लिए तलाक लेने की प्रक्रिया आसान होने के बाद मिस्र में तलाक दोगुना से अधिक बढ़े हैं। जोर्डन, लेबनान, कतर और संयुक्त अरब अमीरात में 35% से अधिक शादियों का अंत तलाक में हुआ है। कुवैत में लगभग आधी शादियां टूट जाती हैं। तलाक के पैटर्न में बदलाव आया है। पहले केवल पुरुष ही तलाक लेते थे। अब महिलाएं आगे आई है। मोरक्को में पुरुषों के बराबर महिलाएं भी संबंध विच्छेद की पहल करती हैं।
मिस्री समाजशास्त्री सैद सादेक कहते हैं, हम परंपरागत अनुदारवादी समाज से आगे बढ़े हैं। बहुविवाह प्रथा कम हो रही है। कई मुस्लिम देशों में तो इस पर पाबंदी है। अब तो शाही परिवारों की तलाकशुदा महिलाएं सार्वजनिक तौर पर पति को निशाना बनाती हैं। जोर्डन के शाह की बहन प्रिंसेस हाया ने ब्रिटिश अदालत से दुबई के अमीर से तलाक लिया है। उन्हें 4385 करोड़ रुपए मेहर के बतौर मिलेंगे। अधिकतर अरब शासकों ने तीन बार तलाक बोलकर विवाह संबंध खत्म करने के पुराने रिवाज पर रोक लगा दी है।
मध्य पूर्व के देशों में तलाक पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत सस्ते हैं। सऊदी अरब के ताबुक शहर में एक 38 वर्षीय इंजीनियर बताते हैं, उन्हें अपने तीसरे तलाक के लिए केवल दो लाख रुपए खर्च करना पड़े हैं। कुछ इस्लामी धर्मगुरु तलाक में वृद्धि को ग्लोबलाइजेशन की बुराई मानते हैं। एक सऊदी मौलाना ने तलाक में बढ़ोतरी को खतरनाक ट्रेंड करार दिया है। पिछले साल सऊदी अरब में जितनी शादियां हुई थीं, लगभग उतने ही तलाक हुए थे।
महिलाओं के लिए आसान नियम
मिस्र के समान अल्जीरिया, जोर्डन, मोरक्को ने भी महिलाओं के लिए तलाक लेने के नियम आसान बनाए हैं। मोरक्को के समाजशास्त्री सौमाया नामाने गैसोअस कहते हैं, विवाह अब सामूहिक निर्णय के बजाय व्यक्तिगत पसंद बन गया है। धर्मगुरुओं और परिवार के मुखिया का पहले जैसा दबदबा नहीं है। नौकरियों और अन्य क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने के कारण लाखों महिलाओं को वित्तीय आजादी मिली है।